मद्रास उच्च न्यायालय ने 19 सितंबर को तमिलनाडु सरकार को निर्देश दिया कि वह कृष्णगिरि जिले में एक निजी स्कूल में आयोजित फर्जी राष्ट्रीय कैडेट कोर (एनसीसी) शिविर में यौन उत्पीड़न के शिकार हुए दो स्कूली छात्रों को 5-5 लाख रुपये का मुआवजा दे तथा यौन शोषण के शिकार हुए अन्य सभी छात्रों को एक-एक लाख रुपये का मुआवजा दे।
कार्यवाहक मुख्य न्यायाधीश डी कृष्णकुमार और न्यायमूर्ति पीबी बालाजी की पीठ ने तमिलनाडु सरकार को चार सप्ताह के भीतर कृष्णागिरी महिला अदालत में अनुग्रह राशि जमा करने का निर्देश दिया।
अदालत ने कहा कि इसके बाद पीड़ित परिवार जिला विधिक सेवा प्राधिकरण की सहायता से राशि वापस लेने के लिए आवेदन कर सकते हैं।
न्यायालय ने राज्य सरकार को संबंधित स्कूल प्रबंधन से राशि वसूलने की भी छूट दी।
इसने पुलिस को मामले की जांच के लिए अब तक उठाए गए कदमों पर विस्तृत स्थिति रिपोर्ट दाखिल करने का निर्देश दिया। उच्च न्यायालय इस मामले पर 30 सितंबर को आगे की सुनवाई करेगा।
न्यायालय वकील एपी सूर्यप्रकाशम द्वारा दायर एक जनहित याचिका पर सुनवाई कर रहा था, जिसमें केंद्रीय जांच ब्यूरो से जांच की मांग की गई थी। इसमें कहा गया था कि मुख्य आरोपी ए शिवरामन और उनके पिता की मौत “रहस्यमय परिस्थितियों” में हुई थी।
यह मामला तमिलनाडु के कृष्णागिरी जिले के एक निजी स्कूल में हुई घटना से संबंधित है, जहां 12 नाबालिग छात्राओं का यौन शोषण ए शिवरामन नामक व्यक्ति ने किया था। उसने इस साल 5 से 9 अगस्त के बीच स्कूल में फर्जी एनसीसी कैंप आयोजित किया था और पीड़ितों का यौन शोषण किया था।
शिवरामन को बलात्कार की पीड़िता द्वारा की गई शिकायत के बाद 19 अगस्त को गिरफ्तार किया गया था। बाद में 23 अगस्त को सलेम के एक अस्पताल में उसकी मौत हो गई। उसकी मौत से एक दिन पहले उसके पिता की भी सड़क दुर्घटना में मौत हो गई थी।
शिवरामन की मौत की परिस्थितियों की जांच के लिए न्यायिक जांच पहले से ही चल रही है।
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Sexual abuse at fake NCC camp: Madras High Court orders compensation for victims