सुप्रीम कोर्ट ने शुक्रवार को अपनी रजिस्ट्री को मनी लॉन्ड्रिंग मामले में जमानत याचिका की समय से पहले लिस्टिंग के बारे में स्पष्टीकरण देने का निर्देश दिया। [जीशान हैदर बनाम प्रवर्तन निदेशालय]
याचिका, जिस पर मूल रूप से 14 अक्टूबर को सुनवाई होनी थी, अप्रत्याशित रूप से आज सूचीबद्ध कर दी गई।
न्यायमूर्ति अभय एस ओका और पंकज मिथल की खंडपीठ इस घटनाक्रम से स्पष्ट रूप से परेशान थी। उन्हें संभावित हेरफेर का संदेह था, यह दर्शाता है कि कोई व्यक्ति जानबूझकर लिस्टिंग प्रक्रिया को प्रभावित कर सकता है।
न्यायालय ने यह स्पष्ट किया कि इस तरह की हरकतें बर्दाश्त नहीं की जाएंगी, उन्होंने कहा,
"हम इसे बिल्कुल भी बर्दाश्त नहीं करेंगे। कोई व्यक्ति हमारी रजिस्ट्री में जा रहा है और पिछले आदेश के विपरीत लिस्टिंग में हेरफेर कर रहा है।"
तदनुसार न्यायालय ने रजिस्ट्री को अनियमितता के लिए विस्तृत स्पष्टीकरण देने का आदेश दिया।
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Somebody is manipulating listing of cases: Supreme Court seeks explanation from its Registry