सुप्रीम कोर्ट ने शुक्रवार को भारतीय युवा कांग्रेस के अध्यक्ष श्रीनिवास बीवी को एक साथी कांग्रेस कार्यकर्ता की गरिमा को ठेस पहुंचाने के आरोप में दायर मामले में पहले दी गई अंतरिम अग्रिम जमानत को पूर्ण कर दिया। [बीवी श्रीनिवास बनाम असम राज्य]
न्यायमूर्ति बीआर गवई, न्यायमूर्ति अरविंद कुमार और न्यायमूर्ति प्रशांत कुमार मिश्रा की पीठ ने यह देखते हुए आदेश पारित किया कि श्रीनिवास ने जांच में सहयोग किया था।
इस साल मई में सुप्रीम कोर्ट ने श्रीनिवास को अंतरिम अग्रिम जमानत दी थी।
यह आदेश श्रीनिवास की याचिका पर पारित किया गया था, जिसमें गौहाटी उच्च न्यायालय के एक आदेश को चुनौती दी गई थी, जिसने उनके खिलाफ दर्ज प्रथम सूचना रिपोर्ट (एफआईआर) को रद्द करने से इनकार कर दिया था।
श्रीनिवास ने दावा किया था कि शिकायत कथित अपराधों को उजागर करने में विफल रही। इस बात पर भी जोर दिया गया कि असम पुलिस के पास कथित तौर पर छत्तीसगढ़ में हुए अपराध की जांच करने या एफआईआर दर्ज करने का कोई अधिकार क्षेत्र नहीं है।
संबंधित शिकायत एक महिला द्वारा दर्ज कराई गई थी, जिसने आरोप लगाया था कि 25 मार्च को रायपुर के मेफेयर होटल में आयोजित कांग्रेस पार्टी के पूर्ण सत्र के दौरान, श्रीनिवास ने होटल के प्रवेश द्वार पर उसके साथ धक्का-मुक्की की, जिसने कथित तौर पर उसकी बाहें पकड़ लीं। अपशब्दों का प्रयोग कर उसे धमकाया।
शिकायतकर्ता ने दावा किया कि श्रीनिवास ने उसे घटना के बारे में कांग्रेस पार्टी के उच्च पदाधिकारियों को बताने पर गंभीर परिणाम भुगतने की धमकी दी थी।
उन्होंने दावा किया था कि कांग्रेस पार्टी के उच्च पदाधिकारियों को उनके व्यवहार के बारे में सूचित करने के बावजूद कोई कार्रवाई नहीं की गई।
वरिष्ठ अतिरिक्त महाधिवक्ता नलिन कोहली आज असम सरकार की ओर से पेश हुए। श्रीनिवास की ओर से वकील राजेश इनामदार और रूपेश भदुरिया पेश हुए।
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