सुप्रीम कोर्ट ने 14 जुलाई को एक स्थानीय क्रिकेट टूर्नामेंट के दौरान गुजरात में 23 वर्षीय सलमान वोहरा की हत्या के लिए जिम्मेदार भीड़ के हमले में शामिल होने के आरोपी व्यक्ति की ज़मानत याचिका पर विचार करने से इनकार कर दिया। [किरण @ होलो मफ़तभाई परमार बनाम गुजरात राज्य]
न्यायमूर्ति विक्रम नाथ और न्यायमूर्ति संदीप मेहता की पीठ ने याचिका खारिज करते हुए कहा कि याचिकाकर्ता को भी सह-अभियुक्त के रूप में रखा गया है, जिसकी जमानत याचिका पहले ही खारिज हो चुकी है।
यह घटना जून 2024 में हुई थी, जब वोहरा नामक एक मुस्लिम युवक अपने दोस्तों के साथ आणंद जिले के चिखोदरा गाँव में एक क्रिकेट मैच देखने गया था। कथित तौर पर उसके दोस्तों और स्थानीय भीड़ के बीच झड़प हो गई। वोहरा ने स्थिति को शांत करने के लिए हस्तक्षेप किया, लेकिन कथित तौर पर उन्हें रोक दिया गया और फिर उन पर लाठियों, बल्लों और चाकुओं से हमला किया गया। कुछ ही देर बाद उनकी मौत हो गई।
हमले का एक कथित वीडियो सोशल मीडिया पर खूब वायरल हुआ और ऐसा लग रहा था कि हमले के दौरान खड़े लोग खुशी से तालियाँ बजा रहे थे। इस घटना से लोगों में आक्रोश फैल गया और राजनीतिक व नागरिक समाज की हस्तियों ने तीखी प्रतिक्रिया व्यक्त की, जिनमें सांसद असदुद्दीन ओवैसी भी शामिल थे, जिन्होंने इस घटना को मॉब लिंचिंग बताया।
जाँच के बाद, गुजरात पुलिस ने भारतीय दंड संहिता की धारा 302 (हत्या), 201 (साक्ष्य मिटाना), 143 (अवैध जमावड़ा), 147 (दंगा), 148 (घातक हथियार से दंगा), 149 (साझा उद्देश्य), 323 (स्वेच्छा से चोट पहुँचाना), 324 (खतरनाक हथियार से चोट पहुँचाना), 504 (उकसावा), और 506(2) (आपराधिक धमकी) के तहत अपराध दर्ज किए। गुजरात पुलिस अधिनियम की धारा 135 भी लागू की गई।
याचिकाकर्ता ने पहले नियमित ज़मानत के लिए गुजरात उच्च न्यायालय का रुख किया था। हालाँकि, उच्च न्यायालय ने यह कहते हुए आवेदन खारिज कर दिया कि उसने वोहरा को भागने से रोकने के लिए कथित तौर पर उसकी गर्दन पकड़ी हुई थी, जबकि अन्य उसे घातक चोटें पहुँचा रहे थे। न्यायालय ने कहा कि इस तरह का आचरण बाकी आरोपियों के साथ साझा इरादे का संकेत देता है।
याचिकाकर्ता ने उच्च न्यायालय के आदेश को सर्वोच्च न्यायालय में चुनौती दी, लेकिन पीठ को इस स्तर पर हस्तक्षेप करने का कोई कारण नहीं मिला।
इसलिए, याचिका खारिज कर दी गई।
याचिकाकर्ता का प्रतिनिधित्व अधिवक्ता राजीवकुमार ने किया।
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Supreme Court denies bail to accused in 2024 Gujarat mob lynching case