सुप्रीम कोर्ट ने गुरुवार को केंद्र सरकार से उन प्रवासियों की संख्या का विवरण प्रस्तुत करने के लिए कहा, जिन्हें नागरिकता अधिनियम, 1955 की धारा 6 ए (2) के माध्यम से भारतीय नागरिकता प्रदान की गई थी।
अदालत ने सरकार से यह भी पूछा कि भारतीय क्षेत्र में अवैध प्रवास को रोकने के लिए अब तक क्या कदम उठाए गए हैं।
अदालत नागरिकता अधिनियम की धारा 6 ए की वैधता को चुनौती देने वाली एक याचिका पर सुनवाई कर रही थी।
धारा 6ए असम समझौते के दायरे में आने वाले प्रवासियों को नागरिकता देने से संबंधित है।
धारा 6ए के अनुसार, जो लोग 1 जनवरी, 1966 और 25 मार्च, 1971 के बीच भारत में प्रवेश करते हैं, और असम में रह रहे हैं, उन्हें खुद को नागरिक के रूप में पंजीकृत करने की अनुमति दी जाएगी। इस मामले के परिणाम का राष्ट्रीय नागरिक रजिस्टर (एनआरसी) सूची पर एक बड़ा असर पड़ेगा।
इस प्रावधान की संवैधानिकता को चुनौती देते हुए सुप्रीम कोर्ट के समक्ष कई याचिकाएं दायर की गई हैं और चिंता जताई गई है कि इसने असम में अवैध आव्रजन की समस्या को बदतर बना दिया है।
मुख्य न्यायाधीश न्यायमूर्ति धनन्जय वाई चन्द्रचूड , न्यायमूर्ति एम एम सुंदरेश, न्यायमूर्ति जे बी पारदीवाला और न्यायमूर्ति मनोज मिश्रा की संविधान पीठ ने आज केन्द्र सरकार से कहा कि वह इन सवालों और संबंधित मुद्दों की आगे जांच के लिये अपना जवाब दे।
मांगी गई जानकारी निम्नलिखित पहलुओं पर है:
1. नागरिकता अधिनियम की धारा 6 ए (2) के तहत जिन व्यक्तियों को नागरिकता प्रदान की गई है, अर्थात् वे जो 1 जनवरी, 1966 से 25 मार्च, 1971 के बीच आए हैं।
2. उपरोक्त समय अवधि के संदर्भ में विदेशी न्यायाधिकरण के आदेशों के तहत कितने विदेशियों का पता लगाया गया था?
3. भारत में अवैध प्रवासियों की अनुमानित आमद, जिसमें असम भी शामिल है, लेकिन केवल असम तक ही सीमित नहीं है।
4. 25 मार्च, 1971 के बाद भारत में कथित रूप से प्रवेश करने वाले व्यक्तियों के संबंध में, (क) केंद्र सरकार द्वारा स्थापित विदेशी न्यायाधिकरणों की कुल संख्या, (ख) निपटाए गए मामलों की कुल संख्या, (ग) आज की तारीख में लंबित मामलों की संख्या कितनी है, (घ) मामलों के निपटान में औसतन कितना समय लगता है और (ङ) ऐसे मुद्दों पर गुवाहाटी उच्च न्यायालय के समक्ष कितने मामले लंबित हैं।
5. भारत के क्षेत्र, विशेष रूप से पूर्वोत्तर राज्यों में अवैध आप्रवासन से निपटने के लिए प्रशासनिक स्तर पर केंद्र सरकार द्वारा उठाए गए कदम।
न्यायालय ने आदेश दिया कि केंद्र सरकार और असम राज्य द्वारा इन पहलुओं पर जवाब का एक आम हलफनामा दायर किया जाए।
नागरिकता अधिनियम की धारा 6 ए को चुनौती देने वाली याचिकाओं पर अंतिम सुनवाई का आज तीसरा दिन था।
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