सर्वोच्च न्यायालय ने हाल ही में एक जनहित याचिका (पीआईएल) को खारिज कर दिया, जिसमें आरोप लगाया गया था कि भारतीय रिजर्व बैंक (आरबीआई) ने 2013 में एक कश्मीरी अलगाववादी समूह द्वारा विकृत किए गए 30 करोड़ रुपये मूल्य के नोटों को बदला था [सतीश भारद्वाज बनाम भारत संघ]।
न्यायमूर्ति सूर्यकांत और न्यायमूर्ति एन कोटिश्वर सिंह की पीठ ने याचिका खारिज कर दी, जिसमें मामले की केंद्रीय जांच ब्यूरो (सीबीआई) से जांच कराने की मांग की गई थी।
आरबीआई ने अदालत को बताया कि याचिकाकर्ता सतीश भारद्वाज ने इस तथ्य को छिपाया है कि वह आरबीआई का बर्खास्त कर्मचारी है।
अदालत ने इस बात पर जोर दिया कि याचिकाकर्ता की बर्खास्तगी जैसे महत्वपूर्ण तथ्यों को छिपाना जनहित याचिका की विश्वसनीयता को कम करता है।
अदालत ने 10 जनवरी के अपने आदेश में कहा, "हम कथित तौर पर जनहित में दायर इस रिट याचिका पर विचार करने के लिए इच्छुक नहीं हैं। तदनुसार, इसे खारिज किया जाता है। हालांकि, यदि इस मुद्दे पर निर्णय लेने की आवश्यकता है, तो उचित मामले में विचार किया जाएगा।"
याचिकाकर्ता सतीश भारद्वाज ने 2019 में सुप्रीम कोर्ट का दरवाजा खटखटाया था। रिपोर्ट्स के मुताबिक, 2013 में एक कश्मीरी अलगाववादी समूह ने सोशल मीडिया पर एक बयान जारी कर घोषणा की थी कि उसने चार महीने के दौरान अलगाववादी नारे लगाकर करीब 30 करोड़ रुपये के भारतीय नोटों को खराब कर दिया है।
भारद्वाज ने दावा किया कि इन नोटों को आरबीआई अधिनियम और आरबीआई (नोट वापसी) नियम, 2009 का उल्लंघन करते हुए आरबीआई की जम्मू क्षेत्रीय शाखा द्वारा बदला गया था।
2020 में, शीर्ष अदालत ने स्थिति रिपोर्ट मांगते हुए नोट किया था कि मामला संवेदनशील मुद्दों से जुड़ा है।
हालांकि, भारद्वाज द्वारा आरबीआई के बर्खास्त कर्मचारी होने की बात स्वीकार करने के बाद, अदालत ने जनहित याचिका पर आगे विचार करना अनुचित पाया।
तदनुसार, अदालत ने जनहित याचिका को खारिज कर दिया। इसने स्पष्ट किया कि इस याचिका में उठाए गए मुद्दों की जांच अधिक उपयुक्त मामले में की जा सकती है।
याचिकाकर्ता व्यक्तिगत रूप से पेश हुए।
वरिष्ठ अधिवक्ता जयदीप गुप्ता, अतिरिक्त सॉलिसिटर जनरल केएम नटराज और अधिवक्ता रमेश बाबू एम, रिधि बोस, ऋषि अग्रवाल, संप्रीति बक्सी, मुकेश कुमार मरोरिया, श्रद्धा देशमुख, वत्सल जोशी, शरत नांबियार, चितवन सिंघल, नीलाक्षी भदौरिया और सबरीश सुब्रमण्यम, अधिवक्ता प्रतिवादी-अधिकारियों के लिए पेश हुए।
[आदेश पढ़ें]
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