सुप्रीम कोर्ट के वकील और भाजपा नेता अश्विनी उपाध्याय ने देश में औपनिवेशिक युग के कानूनों के खिलाफ उनके मार्च के बाद दिल्ली में रविवार को हुई मुस्लिम विरोधी नारेबाजी की जानकारी से इनकार किया है।
उपाध्याय द्वारा दिल्ली में बुलाई गई रैली में सैकड़ों लोग मौजूद थे और उन्होंने 'भारत जोड़ो आंदोलन' के तहत एक मार्च का आह्वान किया था।
रैली ने औपनिवेशिक युग के कानूनों को निरस्त करने और पूरे भारत में सभी नागरिकों के लिए कानूनों को एक समान बनाने की मांग की।
उपाध्याय ने पिछले महीने भारतीय दंड संहिता के खिलाफ सुप्रीम कोर्ट में एक याचिका दायर कर न्यायिक पैनल या विशेषज्ञों के एक निकाय की मांग की थी जो कानून का शासन और समानता सुनिश्चित करने के लिए एक व्यापक और कड़े दंड संहिता का मसौदा तैयार करे।
उन्होंने समान सिविल संहिता की मांग को लेकर भी सुप्रीम कोर्ट में याचिका भी दायर की है।
जब उपाध्याय से सांप्रदायिक नारेबाजी के संबंध में संपर्क किया गया, तो उन्होंने दावा किया कि नारे उनके कार्यक्रम के समाप्त होने के बाद दिए गए थे।
उपाध्याय ने बार एंड बेंच को बताया, "रैली 10 से 12 बजे तक थी। जबकि नारेबाजी शाम 5 बजे के आसपास हुई। हमारी रैली पार्क होटल के बाहर थी, लेकिन नारे संसद भवन पुलिस स्टेशन के पास दिए गए थे। मुझे नहीं पता कि वे कौन थे।"
राजनेता, भाजपा प्रवक्ता, वकील और इंजीनियर, उपाध्याय ने कई जनहित याचिकाओं में शामिल होने के बाद सर्वोच्च न्यायालय और दिल्ली उच्च न्यायालय में अपनी उपस्थिति दर्ज कराई है।
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