सुप्रीम कोर्ट ने मंगलवार को महाराष्ट्र के पूर्व कैबिनेट मंत्री और राष्ट्रवादी कांग्रेस पार्टी (एनसीपी) के नेता नवाब मलिक को उनके खिलाफ लंबित धन शोधन मामले में अंतरिम मेडिकल जमानत देने के अपने आदेश को बरकरार रखा। [नवाब मलिक बनाम प्रवर्तन निदेशालय और अन्य]
न्यायमूर्ति बेला एम त्रिवेदी और न्यायमूर्ति सतीश चंद्र शर्मा की पीठ ने प्रवर्तन निदेशालय (ईडी) द्वारा यह कहे जाने के बाद कि उसे कोई आपत्ति नहीं है, इस संबंध में आदेश पारित किया।
मलिक के वकील ने आज अदालत को बताया कि उनका एक फेफड़ा बुरी तरह से काम करना बंद कर चुका है।
गौरतलब है कि ईडी ने अतिरिक्त सॉलिसिटर जनरल एसवी राजू के माध्यम से आज मौखिक रूप से संकेत दिया कि एजेंसी नियमित जमानत दिए जाने का विरोध नहीं करेगी।
हालांकि, अदालत ने मलिक की मेडिकल जमानत की पुष्टि की और कहा कि यह आदेश तब तक जारी रहेगा जब तक कि एनसीपी नेता की नियमित जमानत याचिका पर बॉम्बे हाईकोर्ट द्वारा फैसला नहीं हो जाता।
ईडी ने मलिक को इस आरोप में गिरफ्तार किया था कि उन्होंने बाजार मूल्य से कम कीमत पर कुछ संपत्ति खरीदी थी।
मई 2022 में मनी लॉन्ड्रिंग मामलों की सुनवाई करने वाली एक विशेष अदालत द्वारा आरोपपत्र पर संज्ञान लेने के बाद, मलिक ने नियमित जमानत के लिए याचिका दायर की। बाद में 30 नवंबर, 2022 को मुंबई की एक विशेष अदालत द्वारा उनकी जमानत याचिका खारिज किए जाने के बाद मलिक ने राहत के लिए बॉम्बे हाईकोर्ट का रुख किया।
जुलाई 2023 में हाईकोर्ट ने मलिक की अंतरिम मेडिकल जमानत की याचिका खारिज कर दी, जिसके बाद सुप्रीम कोर्ट में अपील की गई।
अगस्त 2023 में, सुप्रीम कोर्ट ने यह देखते हुए कि मलिक किडनी की बीमारी और संबंधित बीमारियों के इलाज के लिए अस्पताल में थे, उन्हें दो महीने के लिए अंतरिम मेडिकल जमानत दी।
तब से, इसे कई मौकों पर बढ़ाया गया, जिसमें इस साल जनवरी में अंतरिम जमानत को छह महीने के लिए बढ़ाया गया था।
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Supreme Court makes Nawab Malik medical bail absolute after ED agrees