Supreme Court and truecaller app 
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Truecaller ऐप के खिलाफ याचिका पर सुनवाई से सुप्रीम कोर्ट का इनकार; ऐप्स को बैन करना कोर्ट का काम नहीं

पीठ ने कहा कि यह शीर्ष अदालत के हस्तक्षेप के लिए उपयुक्त मामला नहीं है, इसके बाद याचिकाकर्ता ने याचिका वापस लेना शुरू कर दिया।

Bar & Bench

सुप्रीम कोर्ट ने सोमवार को Truecaller मोबाइल ऐप के खिलाफ एक जनहित याचिका पर विचार करने से इनकार कर दिया। [अंकित सेठी और अन्य बनाम ट्रू सॉफ्टवेयर स्कैंडिनेविया एबी और अन्य]।

अंकित सेठी नाम के एक व्यक्ति द्वारा दायर याचिका में लोगों के व्यक्तिगत डेटा का उनके प्राधिकरण के बिना उपयोग करने का आरोप लगाया गया है।

भारत के मुख्य न्यायाधीश (CJI) यूयू ललित और न्यायमूर्ति एस रवींद्र भट की पीठ ने याचिका पर सुनवाई की, जिसमें कहा गया कि इस तरह के ऐप को रोकना अदालत का काम नहीं है।

न्यायमूर्ति भट ने पूछा, "क्या इस तरह के सभी ऐप्स को बंद करना अदालत का काम है। ऐसे ऐप्स के खिलाफ कितने आवेदनों पर विचार किया जा सकता है।"

किसी अनजान नंबर से कॉल आने पर Truecaller ऐप कॉलर की पहचान दिखाता है। यह कॉल प्राप्त करने वाले को कॉल अटेंड किए बिना यह जानने में मदद करता है कि कॉल करने वाला कौन है।

व्यक्तिगत रूप से पेश हुए याचिकाकर्ता ने कहा, "यह अपरिपक्व लग सकता है लेकिन मेरा इरादा ऐसा नहीं है।"

सेठी ने कहा, "मान लीजिए कि मैं Truecaller का उपयोग करता हूं और आप ऐप का उपयोग नहीं करते हैं, तब भी मेरे पास आपकी व्यक्तिगत जानकारी होगी।"

CJI ललित ने कहा "तो यह अनुच्छेद 32 के तहत एक जनहित याचिका है।"

पीठ ने स्पष्ट किया कि ऐसे सभी दखल देने वाले ऐप्स को बंद करना न्यायालय के अधिकार क्षेत्र में नहीं है।

CJI ने यह भी कहा कि यह शीर्ष अदालत के हस्तक्षेप के लिए उपयुक्त मामला नहीं है।

इसके बाद याचिकाकर्ता याचिका वापस लेने के लिए आगे बढ़ा।

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Supreme Court refuses to entertain plea against Truecaller app; says not court's job to ban apps