Manish Sisodia, Supreme Court  
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सुप्रीम कोर्ट ने दिल्ली आबकारी नीति मामले में मनीष सिसोदिया की जमानत शर्त में ढील दी

सर्वोच्च न्यायालय ने इस वर्ष अगस्त में सिसोदिया को दिल्ली आबकारी नीति (जिसे अब समाप्त कर दिया गया है) के संबंध में सीबीआई और प्रवर्तन निदेशालय द्वारा दर्ज मामलों में जमानत दे दी थी।

Bar & Bench

सुप्रीम कोर्ट ने बुधवार को दिल्ली के पूर्व उपमुख्यमंत्री और आम आदमी पार्टी (आप) के नेता मनीष सिसोदिया की याचिका को स्वीकार कर लिया, जिसमें दिल्ली आबकारी नीति मामले में उन्हें हर सोमवार और गुरुवार को जांच अधिकारी के समक्ष उपस्थित होने की आवश्यकता वाली जमानत शर्त में छूट देने की मांग की गई थी। [मनीष सिसोदिया बनाम प्रवर्तन निदेशालय]

न्यायमूर्ति बीआर गवई और न्यायमूर्ति केवी विश्वनाथन की पीठ ने जमानत की उक्त शर्त को हटा दिया, जिसके तहत उन्हें दिल्ली आबकारी नीति से संबंधित भ्रष्टाचार और धन शोधन के मामलों में सप्ताह में दो बार जांच अधिकारी के समक्ष उपस्थित होना था।

हालांकि, न्यायालय ने यह स्पष्ट किया कि सिसोदिया को बिना चूके मुकदमे में उपस्थित होना होगा।

न्यायालय ने अपने आदेश में कहा, "शर्त में ढील देने के लिए आवेदन दायर किया गया है, जिसके तहत उन्हें सप्ताह में दो बार पुलिस स्टेशन जाना होगा। हम मानते हैं कि शर्त की आवश्यकता नहीं है और इसलिए इसे हटा दिया गया है। हालांकि, आवेदक को नियमित रूप से मुकदमे में उपस्थित होना होगा।"

Justice BR Gavai and Justice KV Viswanathan

सर्वोच्च न्यायालय ने इस वर्ष अगस्त में सिसोदिया को केंद्रीय जांच ब्यूरो (सीबीआई) और प्रवर्तन निदेशालय (ईडी) द्वारा अब समाप्त हो चुकी दिल्ली आबकारी नीति के संबंध में दर्ज मामलों में जमानत दे दी थी।

न्यायालय ने यह देखते हुए उनकी याचिका स्वीकार कर ली थी कि मुकदमे में लंबे समय तक देरी से त्वरित सुनवाई के अधिकार का उल्लंघन होता है जो संविधान के अनुच्छेद 21 के तहत स्वतंत्रता का एक पहलू है।

निम्नलिखित शर्तों के अधीन जमानत दी गई थी:

- 10,00,000 रुपये की राशि के लिए जमानत बांड और समान राशि के दो जमानतदार;

- अपना पासपोर्ट सरेंडर करना;

- प्रत्येक सोमवार और गुरुवार को सुबह 10-11 बजे के बीच जांच अधिकारी (आईओ) को रिपोर्ट करना।

सिसोदिया ने अंतिम शर्त में ढील देने की मांग करते हुए न्यायालय का रुख किया।

इस वर्ष अगस्त में जमानत मिलने तक सिसोदिया 26 फरवरी, 2023 से हिरासत में थे।

उनके और अन्य आप नेताओं के खिलाफ मामले में आरोप है कि आबकारी नीति में कुछ शराब विक्रेताओं को लाभ पहुंचाने के लिए बदलाव किया गया था, जिसके बदले में रिश्वत का इस्तेमाल गोवा में पार्टी के चुनाव अभियान के लिए किया गया था।

सिसोदिया ने मामले में शुरू में कई जमानत याचिकाएं दायर की थीं, लेकिन कोई फायदा नहीं हुआ और आखिरकार अगस्त में उन्हें जमानत मिल गई।

सिसोदिया का प्रतिनिधित्व वरिष्ठ अधिवक्ता अभिषेक मनु सिंघवी और अधिवक्ता विवेक जैन, मोहम्मद इरशाद, सुचित्रा कुंभट, अमित भंडारी, रजत जैन और सादिक नूर ने भी किया।

प्रवर्तन निदेशालय (ईडी) की ओर से अतिरिक्त सॉलिसिटर जनरल एसवी राजू पेश हुए।

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Supreme Court relaxes bail condition of Manish Sisodia in Delhi Excise Policy case