सुप्रीम कोर्ट ने शुक्रवार को तेलंगाना उच्च न्यायालय के फैसले को बरकरार रखा, जिसमें कहा गया था कि तेलंगाना मूल्य वर्धित कर (दूसरा संशोधन) अधिनियम, 2017 असंवैधानिक था।
न्यायमूर्ति संजय किशन कौल, न्यायमूर्ति रवीन्द्र भट्ट, न्यायमूर्ति सुधांशु धूलिया और न्यायमूर्ति मनोज मिश्रा की पीठ ने फैसला सुनाया कि विधायी क्षमता के अभाव में तेलंगाना में संशोधनों को सही ढंग से अमान्य ठहराया गया था।
न्यायालय तेलंगाना उच्च न्यायालय और बंबई उच्च न्यायालय के फैसलों के खिलाफ अपील पर सुनवाई कर रहा था।
तेलंगाना उच्च न्यायालय ने जुलाई 2022 में तेलंगाना मूल्य वर्धित कर (दूसरा संशोधन) अधिनियम, 2017 को असंवैधानिक ठहराया था।
तत्कालीन मुख्य न्यायाधीश उज्ज्वल भुइयां और न्यायमूर्ति पी माधवी देवी की खंडपीठ ने अधिनियम और इसके तहत जारी किए गए नोटिस को यह कहते हुए रद्द कर दिया था कि जीएसटी व्यवस्था लाने के दौरान संसद का इरादा उन अप्रत्यक्ष करों को एक में समाहित करके करों की बहुलता से बचना था।
न्यायालय ने पाया कि 2016 में 101वें संविधान संशोधन अधिनियम के लागू होने के बाद, राज्य विधायिका की क्षमता कम हो गई थी। इसलिए, विधायिका के पास दूसरा संशोधन अधिनियम बनाने की क्षमता नहीं थी।
इस प्रकार यह निष्कर्ष निकाला गया कि एक बार वैट अधिनियम निरस्त हो गया, सीमित श्रेणियों के मामले को छोड़कर, इसमें संशोधन करने का प्रश्न ही नहीं उठेगा।
इसने आगे कहा कि संविधान संशोधन अधिनियम की धारा 19 राज्य विधायिका को दूसरा संशोधन अधिनियम लागू करने में सक्षम बनाने की शक्ति का स्रोत नहीं थी, क्योंकि यह एक संक्रमणकालीन प्रावधान था।
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Supreme Court upholds verdict holding Telangana VAT (Second Amendment) Act unconstitutional