भारत के मुख्य न्यायाधीश (CJI), डी वाई चंद्रचूड़ ने सोमवार को वाणिज्यिक मामलों में पूर्व-सुनवाई की लागत लगाने का प्रस्ताव दिया, ताकि वाणिज्यिक मुद्दों से जुड़े तुच्छ मामलों को सर्वोच्च न्यायालय के समक्ष नहीं लाया जा सके।
उन्होंने कहा कि इस तरह के मामले कोर्ट का काफी समय बर्बाद करते हैं और इस पर लगाम लगाने की जरूरत है।
CJI ने मौखिक रूप से टिप्पणी की, "सर्वोच्च न्यायालय में आने वाले वाणिज्यिक मामलों में अग्रिम लागत लगाने का समय आ गया है।अब समय आ गया है कि सुप्रीम कोर्ट कमर्शियल मामलों में कहे कि पहले 5 करोड़ का जुर्माना जमा करो और अगर यह फिजूल है तो जुर्माना हमारे पास रहेगा।"
CJI ने देखा कि कई बार, शीर्ष अदालत के समक्ष ऐसे मामले निचली अदालतों के अंतरिम आदेशों के खिलाफ अपील होते हैं।
उन्होंने कहा, "आपको इस बात का एहसास नहीं है कि आप ऐसे मामलों के लिए सुप्रीम कोर्ट आते हैं और हमारा समय लेते हैं। आप एक खंडपीठ के आदेश को चुनौती दे रहे हैं, जिसने आपको अंतरिम राहत नहीं देने के एडीजे के आदेश को बरकरार रखा था। हमें हस्तक्षेप क्यों करना चाहिए।"
सीजेआई ने यह भी बताया कि जब वे वकील थे तो बॉम्बे हाई कोर्ट ऐसे मामलों में बहुत सख्त हुआ करता था।
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