1 अप्रैल से 31 जुलाई तक, दिल्ली उच्च न्यायालय ने कोविड-19 महामारी के बीच वीडियो कॉन्फ्रेंसिंग के माध्यम से लगभग 13,000 मामलों की सुनवाई की गयी
इस अवधि के दौरान पक्षकारों की सुनवाई पर लगभग 2800 मुख्य मामलों और लगभग 11,000 विविध प्रार्थना पत्रों का निस्तारण किया गया है। रजिस्ट्री द्वारा लगभग 21,000 नए मुख्य मामलों / विविध प्रार्थना पत्रों को दर्ज किया गया। इस अवधि के दौरान 196 जनहित याचिका मामलों को पंजीकृत किया गया और 155 जनहित याचिकाओं का निस्तारण भी किया गया।
इस आशय की जानकारी दिल्ली उच्च न्यायालय ने एक प्रेस विज्ञप्ति में दी है।
यह भी बताया गया है कि उच्च न्यायालय की ई-फाइलिंग सुविधा के लिए लगभग व्यक्तिगत रूप से 12,000 अधिवक्ताओं / वादियों ने भी पंजीकरण कराया था।
जहां तक दिल्ली में जिला न्यायालयों का संबंध है, 1 अप्रैल से 31 जुलाई तक वीडियो कॉन्फ्रेंसिंग के माध्यम से लगभग 67,000 मामलों की सुनवाई की गयी।
जिला न्यायालयों द्वारा 3700 मामलों में निर्णय सुनाए गए और 21,000 से अधिक विविध प्रार्थना पत्रों का निस्तारण भी किया गया।
चूंकि अब यह धीरे-धीरे अदालतों में होने वाली भौतिक सुनवाई को फिर से शुरू करने के लिए तैयार है, हाई कोर्ट ने महामारी के दौरान बार काउंसिल ऑफ दिल्ली, दिल्ली हाईकोर्ट बार एसोसिएशन और जिला कोर्ट बार एसोसिएशनों के पदाधिकारियों द्वारा दिए गए सहयोग और समर्थन को भी स्वीकार किया है।
बार के सदस्यों ने इस महामारी के समय आभासी सुनवाई में सक्रिय और पूरे उत्साह से भाग लिया है।दिल्ली उच्च न्यायालय
प्रशासनिक स्तर पर, यह भी कहा गया कि, जस्टिस आईएस मेहता, संगीता ढींगरा सहगल के विदाई सहित लगभग 300 आभासी बैठकें हुईं।
इसके अतिरिक्त, दिल्ली न्यायिक अकादमी ने इस महामारी के दौरान 30 प्रशिक्षण कार्यक्रम और 40 विशेष प्रशिक्षण सत्र आयोजित किए और 760 न्यायिक अधिकारियों, अभियोजकों और अन्य हितधारकों को सफलतापूर्वक प्रशिक्षण प्रदान किया गया।
दिल्ली राज्य विधिक सेवा प्राधिकरण ने 8 अगस्त, 2020 को दिल्ली के सभी जिला न्यायालयों में अपना पहला ई-लोकदल भी आयोजित किया, जिसमें 77 आभासी पीठों का गठन किया गया, जिन्होंने 5838 मामलों का निस्तारण किया।
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