Bharatiya Nagarik Suraksha Sanhita, 2023  
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पंजाब एवं हरियाणा उच्च न्यायालय ने भारतीय नागरिक सुरक्षा संहिता पर अपने पहले आदेश में क्या कहा?

Bar & Bench

नव-अधिनियमित भारतीय नागरिक सुरक्षा संहिता (बीएनएसएस) के तहत पारित पहले आदेशों में से एक में, पंजाब और हरियाणा उच्च न्यायालय ने माना है कि बीएनएसएस की धारा 531 में प्रावधान है कि बीएनएसएस के लागू होने से पहले दायर लंबित अपीलों पर पुराने कानून, यानी दंड प्रक्रिया संहिता (सीआरपीसी) के तहत निर्णय लिया जाना चाहिए। [मनदीप सिंह बनाम कुलविंदर सिंह और अन्य]।

न्यायमूर्ति अनूप चितकारा की एकल पीठ ने चेक बाउंस मामले में 2 जुलाई को यह आदेश पारित किया।

आदेश में कहा गया है, "भारतीय नागरिक सुरक्षा संहिता, 2023 की धारा 531 में स्पष्ट रूप से कहा गया है कि लंबित अपीलों का निपटारा या उन्हें जारी रखा जाएगा, जैसे कि नया कानून अभी तक प्रभावी नहीं हुआ है। समय विस्तार की मांग करने वाली याचिका और साथ में दिया गया आवेदन इस न्यायालय की रजिस्ट्री में तब दायर और पंजीकृत किया गया था, जब सीआरपीसी, 1973 लागू था और 1 जुलाई 2024 को लंबित था... इस पर सीआरपीसी की धारा 401 के तहत निर्णय लिया जाना चाहिए।"

Justice Anoop Chitkara and Punjab and Haryana HC

यह टिप्पणी सीआरपीसी की धारा 401 के तहत आपराधिक पुनरीक्षण याचिका दायर करने में 38 दिन की देरी के लिए माफ़ी मांगने वाले एक आवेदन पर सुनवाई के दौरान आई।

हाईकोर्ट ने जांच की कि लंबित कार्यवाही पुरानी या नई आपराधिक संहिता द्वारा शासित होनी चाहिए या नहीं। इसने अंततः माना कि कार्यवाही बीएनएसएस की धारा 531(2)ए के तहत सीआरपीसी के तहत जारी रहेगी।

कोर्ट ने कहा, "भारतीय नागरिक सुरक्षा संहिता, 2023 की धारा 531 यह स्पष्ट करती है कि 30 जून 2024 को या उससे पहले लंबित सभी अपील, आवेदन, परीक्षण, पूछताछ या जांच, दंड प्रक्रिया संहिता, 1973 के तहत शासित होती रहेंगी।"

इसलिए, देरी के लिए क्षमा याचिका स्वीकार की गई।

मामले की अगली सुनवाई 4 जुलाई को गुण-दोष के आधार पर होगी।

अभियुक्त मंदीप सिंह की ओर से अधिवक्ता पी.एस. सेखों पेश हुए।

शिकायतकर्ता कुलविंदर सिंह की ओर से अधिवक्ता अभय गुप्ता पेश हुए।

पंजाब राज्य की ओर से अतिरिक्त महाधिवक्ता टी.पी.एस. वालिया और उप महाधिवक्ता स्वाति बत्रा पेश हुए।

[आदेश पढ़ें]

Mandeep_Singh_vs_Kulwinder_Singh_and_another.pdf
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What Punjab & Haryana High Court said in its first order on Bharatiya Nagarik Suraksha Sanhita