Subramanian Swamy and Rahul Gandhi  
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दिल्ली हाईकोर्ट ने राहुल गांधी की नागरिकता मामले में सुनवाई क्यों टाली?

न्यायालय ने चिंता व्यक्त की कि विभिन्न उच्च न्यायालयों के समक्ष कई मामले आने से भिन्न-भिन्न आदेश आ सकते हैं।

Bar & Bench

दिल्ली उच्च न्यायालय ने बुधवार को भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) नेता सुब्रमण्यम स्वामी द्वारा कांग्रेस नेता राहुल गांधी के ब्रिटिश नागरिक होने के दावे के संबंध में दायर मामले की सुनवाई स्थगित कर दी।

यह इस तथ्य के मद्देनजर था कि इलाहाबाद उच्च न्यायालय के समक्ष एक ऐसा ही मामला लंबित है, जिसमें गृह मंत्रालय (एमएचए) को 21 अप्रैल तक निर्णय लेने के लिए कहा गया है।

मुख्य न्यायाधीश देवेंद्र कुमार उपाध्याय और न्यायमूर्ति तुषार राव गेडेला की खंडपीठ ने इस पर गौर किया और यह भी कहा कि मंत्रालय को न्यायालय को की गई कार्रवाई से अवगत कराना चाहिए था, क्योंकि इलाहाबाद उच्च न्यायालय के समक्ष इसी तरह के मामले के लंबित रहने से भिन्न आदेश हो सकते हैं।

केंद्र सरकार की ओर से पेश अतिरिक्त सॉलिसिटर जनरल (एएसजी) चेतन शर्मा ने कहा कि इलाहाबाद उच्च न्यायालय ने 24 मार्च को गृह मंत्रालय को याचिकाकर्ता विग्नेश शिशिर द्वारा उच्च न्यायालय के समक्ष दायर किए गए प्रतिनिधित्व पर निर्णय लेने का आदेश दिया था।

एएसजी ने बताया, "इसे 21 अप्रैल को उच्च न्यायालय के समक्ष सुनवाई के लिए रखा गया है।"

इसी के मद्देनजर, दिल्ली उच्च न्यायालय ने मामले को स्थगित कर दिया और इसे 28 मई को विचार के लिए रखा।

याचिकाकर्ता सुब्रमण्यम स्वामी की आपत्तियों के बावजूद ऐसा किया गया, जिन्होंने दावा किया कि सरकार देरी की रणनीति अपना रही है।

स्वामी ने कहा, "यह देरी करने की रणनीति है। मेरी याचिका 2019 से ही वहां है। मंत्री ने कारण बताओ नोटिस दिया था, जिसका गांधी ने जवाब नहीं दिया है। कम से कम, उन्हें हलफनामा दाखिल करने का निर्देश तो दिया ही जा सकता है। जब मैंने यह मामला दाखिल किया था, तब कोई अन्य मामला (किसी अन्य उच्च न्यायालय में) नहीं था। यह अनुचित है कि इतना सारा काम करने के बाद भी उन्होंने उसी मामले को फिर से पेश किया है।"

फिर भी न्यायालय ने कहा कि यह मुद्दा गृह मंत्रालय के विचाराधीन है और सुनवाई तब तक के लिए स्थगित की जा सकती है जब तक सरकार द्वारा कोई निर्णय नहीं लिया जाता।

न्यायालय ने इलाहाबाद उच्च न्यायालय के समक्ष याचिकाकर्ता विग्नेश शिशिर द्वारा दिल्ली उच्च न्यायालय के समक्ष मामले में खुद को पक्षकार बनाने की याचिका को भी खारिज कर दिया।

Chief Justice Devendra Kumar Upadhyaya and Justice Tushar Rao Gedela

पृष्ठभूमि

स्वामी ने उच्च न्यायालय में अपनी याचिका में आरोप लगाया है कि गांधी ब्रिटिश नागरिक हैं।

उन्होंने गृह मंत्रालय (एमएचए) को गांधी की भारतीय नागरिकता रद्द करने के लिए उनके प्रतिनिधित्व पर निर्णय लेने के निर्देश देने की मांग की है।

स्वामी ने 2019 में एमएचए को पत्र लिखकर आरोप लगाया था कि बैकऑप्स लिमिटेड नामक एक कंपनी वर्ष 2003 में यूनाइटेड किंगडम (यूके) में पंजीकृत हुई थी और गांधी इसके निदेशकों और सचिवों में से एक थे।

भाजपा नेता ने कहा कि 10 अक्टूबर 2005 और 31 अक्टूबर 2006 को दाखिल कंपनी के वार्षिक रिटर्न में गांधी ने अपनी राष्ट्रीयता ब्रिटिश घोषित की थी। आगे कहा गया कि 17 फरवरी 2009 को कंपनी के विघटन आवेदन में गांधी की राष्ट्रीयता फिर से ब्रिटिश बताई गई थी।

स्वामी की याचिका के अनुसार, यह भारतीय संविधान के अनुच्छेद 9 और भारतीय नागरिकता अधिनियम, 1955 का उल्लंघन है।

गृह मंत्रालय ने 29 अप्रैल, 2019 को गांधी को पत्र लिखकर उनसे इस संबंध में एक पखवाड़े के भीतर "तथ्यात्मक स्थिति से अवगत कराने" को कहा।

हालांकि, स्वामी के अनुसार, उनके पत्र के पांच साल से अधिक समय बीत जाने के बावजूद, गृह मंत्रालय की ओर से अभी भी कोई स्पष्टता नहीं है कि इस पर क्या निर्णय लिया गया है।

इस मामले में हाईकोर्ट ने पहले सुनवाई टाल दी थी, क्योंकि बेंच के संज्ञान में यह लाया गया था कि इलाहाबाद हाईकोर्ट के समक्ष इसी तरह की एक याचिका लंबित है।

उस याचिकाकर्ता एस विग्नेश शिशिर ने राहुल गांधी की नागरिकता की केंद्रीय जांच ब्यूरो (सीबीआई) से जांच की मांग की है।

उन्होंने आरोप लगाया था कि इस बात के सबूत हैं कि गांधी के पास ब्रिटिश नागरिकता है।

नवंबर 2024 में, इलाहाबाद हाईकोर्ट ने केंद्रीय गृह मंत्रालय से शिशिर द्वारा दायर किए गए प्रतिनिधित्व पर निर्णय लेने को कहा।

यह निर्देश 24 मार्च को दोहराया गया तथा मामले पर 21 अप्रैल को सुनवाई की बात कही गई।

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Why Delhi High Court deferred hearing in Rahul Gandhi citizenship case