Couple (representational)  
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पत्नी की प्रेग्नेंसी उसकी क्रूरता को मिटा नहीं सकती: दिल्ली हाई कोर्ट ने पति को तलाक की मंज़ूरी दी

हाईकोर्ट ने कहा कि क्रूरता का आकलन सभी हालात से किया जाना चाहिए, न कि सुलह के अलग-अलग मामलों से।

Bar & Bench

दिल्ली हाईकोर्ट ने कहा है कि पत्नी की प्रेग्नेंसी को ध्यान में रखकर उसके पति के प्रति क्रूरता को माफ नहीं किया जा सकता।

जस्टिस अनिल क्षेत्रपाल और जस्टिस रेणु भटनागर की डिवीज़न बेंच ने कहा कि प्रेग्नेंसी या कुछ समय के लिए सुलह होने से पहले की क्रूरता की घटनाओं को मिटाया नहीं जा सकता।

कोर्ट ने कहा, “प्रेग्नेंसी या कुछ समय के लिए सुलह होने से पहले की क्रूरता की घटनाओं को मिटाया नहीं जा सकता, खासकर तब जब रिकॉर्ड से पता चले कि रेस्पोंडेंट का बुरा बर्ताव, धमकियां और साथ रहने से इनकार उसके बाद भी जारी रहा। क्रूरता का अंदाज़ा सभी हालात से लगाया जाना चाहिए, न कि सुलह के अलग-अलग मामलों से।”

Justice Anil Kshetarpal and Justice Renu Bhatnagar

कोर्ट ने ये बातें एक फैमिली कोर्ट के फैसले को पलटते हुए और एक पति को तलाक देते हुए कहीं।

कहा गया कि कपल की शादी साल 2016 में हुई थी। पति ने 2021 में मेंटल क्रूरता के आधार पर तलाक के लिए अर्जी दी। पत्नी ने आरोप लगाया कि उसे दहेज से जुड़ी हैरेसमेंट और ससुराल से निकाल दिया गया।

फैमिली कोर्ट ने तलाक की अर्जी इस आधार पर खारिज कर दी कि पति ने दहेज हैरेसमेंट के आरोपों का ठीक से जवाब नहीं दिया और 2019 की शुरुआत में पत्नी का मिसकैरेज दिखाता है कि कपल के बीच अच्छे रिश्ते थे।

हाईकोर्ट ने लोअर कोर्ट के फैसले को पलट दिया और कहा कि सिर्फ पत्नी के मिसकैरेज के आधार पर पार्टियों के बीच अच्छे रिश्ते की फैमिली कोर्ट की टिप्पणी गलत थी।

इसने कहा कि शादी का टूटना एक पति या पत्नी की दूसरे पर जीत नहीं है, बल्कि यह कानूनी मान्यता है कि रिश्ता ऐसे मोड़ पर पहुंच गया है जहां से वापसी नहीं हो सकती।

कोर्ट ने कहा, “शादी के केस अक्सर गहरे इमोशनल निशान छोड़ जाते हैं। शादी का टूटना किसी एक की दूसरे पर जीत नहीं है, बल्कि यह कानूनी मान्यता है कि रिश्ता अब ऐसी जगह पहुँच गया है जहाँ से वापसी नहीं हो सकती। दोनों पार्टियों से आग्रह किया जाता है कि वे आगे की सभी बातचीत में, खासकर मेंटेनेंस या दूसरी ज़रूरी राहत से जुड़ी किसी भी पेंडिंग या भविष्य की कार्रवाई में, तहज़ीब बनाए रखें।”

इसके अलावा, कोर्ट ने कहा कि पत्नी ने अपने ससुर पर छेड़छाड़ का आरोप लगाया था और अपने पति के पिता पर छेड़छाड़ का ऐसा आरोप लगाने से शादी के रिश्ते में तालमेल बहाल होने की उम्मीद खत्म हो जाती है।

बेंच ने आगे कहा कि पत्नी का पति और उसकी माँ को बार-बार बेइज्जत करना, खुद को नुकसान पहुँचाने की लगातार धमकी देना, साथ रहने से मना करना और बिना किसी सही वजह के छोड़ देना, मेंटल क्रूरता के टेस्ट को पूरा करता है।

इस तरह, कोर्ट ने यह नतीजा निकाला कि पार्टियों के बीच शादी पूरी तरह से टूट चुकी थी और शादी को खत्म करने की कार्रवाई शुरू कर दी।

पति की ओर से वकील एसडी दीक्षित और अनु त्यागी पेश हुए।

[फैसला पढ़ें]

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Wife’s pregnancy can't erase her acts of cruelty: Delhi High Court grants divorce to husband