चुनाव विशेषज्ञ योगेन्द्र यादव ने आज सुप्रीम कोर्ट में दो ऐसे लोगों का मामला उठाया जिन्हें बिहार की मतदाता सूची के विशेष गहन पुनरीक्षण (एसआईआर) में मृत घोषित कर दिया गया है।
उन्होंने न्यायमूर्ति सूर्यकांत और न्यायमूर्ति जॉयमाल्या बागची की खंडपीठ को बताया कि इन दोनों लोगों के नाम मतदाता सूची में नहीं हैं क्योंकि उन्हें मृत घोषित कर दिया गया है।
यादव ने अदालत से कहा, "कृपया इन्हें देखें। इन्हें मृत घोषित कर दिया गया है। ये दिखाई नहीं दे रहे हैं। लेकिन ये जीवित हैं... इन्हें देखें।"
चुनाव आयोग की ओर से वरिष्ठ अधिवक्ता राकेश द्विवेदी ने इस दलील को "नाटक" करार दिया।
न्यायमूर्ति बागची ने कहा कि यह अनजाने में हुई गलती हो सकती है।
न्यायाधीश ने कहा, "हो सकता है कि यह अनजाने में हुई गलती हो। इसे सुधारा जा सकता है। लेकिन आपकी बातों को सही माना गया है।"
यादव ने यह दलील उस समय दी जब पीठ बिहार में चल रही एसआईआर प्रक्रिया को चुनौती देने वाली कई याचिकाओं पर सुनवाई कर रही थी। वह इस मामले में याचिकाकर्ताओं में से एक हैं।
उन्होंने अदालत को बताया कि एसआईआर प्रक्रिया भारत के इतिहास में पहली ऐसी प्रक्रिया है जिसमें मतदाता सूची में संशोधन के बाद भी कोई नाम नहीं जोड़ा गया है।
उन्होंने कहा, "वे [चुनाव आयोग] पूरे राज्य में गए और उन्हें एक भी नाम नहीं मिला... हम दुनिया के इतिहास में मताधिकार से वंचित करने की सबसे बड़ी प्रक्रिया देख रहे हैं। 65 लाख नाम हटाए गए। भारत के इतिहास में ऐसा कभी नहीं हुआ। यह आँकड़ा 1 करोड़ को पार कर जाएगा।"
अदालत ने प्रक्रिया के विश्लेषण के लिए यादव का धन्यवाद किया। मामले की सुनवाई बुधवार को जारी रहेगी।
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Yogendra Yadav shows up in Supreme Court with 2 voters declared dead by ECI after Bihar SIR