सुप्रीम कोर्ट ने बुधवार को 2013 के साबरमती जेल ब्रेक मामले में एक आरोपी को जमानत दे दी, इस तथ्य को ध्यान में रखते हुए कि 11 साल से मामले में मुकदमा शुरू नहीं हुआ था, जिसके दौरान आरोपी जेल में रहा (रजीउद्दीन नशर बनाम गुजरात राज्य)।
न्यायमूर्ति सी टी रविकुमार और न्यायमूर्ति राजेश बिंदल की पीठ ने आज आरोपी को यह सूचित किये जाने के बाद जमानत दे दी कि यद्यपि उसे संबंधित मामले में बरी कर दिया गया है लेकिन जेल से कैदियों के भागने के मामले में कोई प्रगति नहीं होने के कारण वह जेल में ही रहा।
आरोपी रजीउद्दीन नशर 2008 के अहमदाबाद धमाकों के सिलसिले में 2008 से जेल में बंद है।
हालांकि जेल में रहने के दौरान ही उसे 2013 में जेल से कैदियों के भागने के मामले में आरोपी के तौर पर भी नामजद किया गया था।
बाद में उन्हें फरवरी 2022 में एक विशेष अदालत ने अहमदाबाद विस्फोट मामले में सभी अपराधों से बरी कर दिया था।
जेल से कैदियों के फरार होने के मामले में शीर्ष अदालत को सूचित किया गया कि अभियोजन पक्ष ने 169 गवाहों का हवाला दिया है और मुकदमे का निष्कर्ष जो 10 साल में भी शुरू नहीं हुआ है, किसी भी उचित समय सीमा में समाप्त नहीं हो सकता है।
याचिकाकर्ता की ओर से वरिष्ठ अधिवक्ता डॉ. एस. मुरलीधर अधिवक्ता शारिक निसार और अनस तनवीर की सहायता से उपस्थित हुए।
गुजरात राज्य का प्रतिनिधित्व एएसजी एसवी राजू और स्थायी वकील स्वाति घिल्डियाल ने किया।
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11 years delay in trial: Supreme Court grants bail to Sabarmati jailbreak accused