हाथरस सामूहिक बलात्कार और हत्या मामले में 47 महिला वकीलों ने मुख्य न्यायाधीश और कालेजियम के सदस्य न्यायाधीशों को पत्र लिखकर उच्च न्यायालय की निगरानी में इस घटना की जांच और मुकदमे की सुनवाई कराने का अनुरोध् किया है ताकि आरोपियों के लिये यथासंभव तत्परता से कठोरतम सजा सुनिश्चित की जा सके।
इस पत्र में हाथरस कांड में लापरवाही बरतने वाले सभी पुलिसकर्मियों, प्रशासनिक कर्मचारियों और चिकित्सा अधिकारियों , जिन्होंने हो सकता है कि तथ्यों और साक्ष्यों के साथ छेड़छाड़ करने का प्रयास किया हो, के खिलाफ तत्काल जांच कराने और उन्हें निलंबित करने या उनके विरूद्ध दंडात्मक कार्रवाई करने का भी अनुरोध किया गया है।
इन महिला वकीलों ने समुचित संस्थागत व्यवस्था स्थापित करने और दिशानिर्देश बनाने का भी अनुरोध किया है ताकि जब देश में कानून व्यवस्था की स्थिति का सवाल आये तो कोई अन्य पीड़ित या उसका परिवार असहाय महसूस नहीं करे।
पत्र में उम्मीद की गयी है कि उच्चतम न्यायालय इस मामले में तत्काल हस्तक्षेप करेगा।
अनेक घटनाओं को उजागर करते हुये इस पत्र में पुलिस के रवैये और उसके रूख की ओर ध्यान आकर्षित किया गया है।
पत्र के अनुसार बुरी तरह जख्मी पीड़ित की 29 सितंबर, 2020 को सफदरजंग अस्पताल में मृत्यु हो जाने के बाद पुलिस अधिकारियों की कार्रवाई गयी अथाह लगती है और यह ऐसे अनेक सवालों को जन्म देती है जो हमारे कानून के शासन और देश की मानवता को परस्पर बांध कर रखती है।
इसी विषय पर उच्चतम न्यायालय में एक याचिका भी दायर की गयी है जिसमे हाथरस सामूहिक बलात्कार मामले की जांच केन्द्रीय जांच ब्यूरो या शीर्ष अदालत अथवा उच्च न्यायलाय के पीठासीन अथवा सेवानिवृत्त न्यायाधीश की निगरानी में विशेष जांच दल गठित करने का अनुरोध किया गया है।
दिल्ली महिला आयोग ने भी इस संबंध में प्रधान न्यायाधीश और उच्चतम न्यायालय के अन्य न्यायाधीशों को पत्र लिखकर हाथरस में सामूहिक बलात्कार और हत्या की इस बर्बरतापूर्ण वारदात का संज्ञान लेने का अनुरोध किया है।
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47 Lady Advocates write to CJI seeking High Court-monitored investigation