उत्तर प्रदेश लोक सेवा आयोग (यूपीपीएससी) ने सोमवार को इलाहाबाद उच्च न्यायालय को बताया कि उसने यूपी न्यायिक सेवा सिविल जज (जूनियर डिवीजन) परीक्षा, 2022 के दौरान अपनाए गए अनुचित साधनों की जांच के दौरान पांच अधिकारियों को दोषी पाया है और उनमें से तीन को निलंबित कर दिया है। [श्रवण पांडे बनाम उत्तर प्रदेश राज्य और अन्य]।
यूपीपीएससी द्वारा दाखिल हलफनामे के अनुसार, अगस्त 2023 में मुख्य परीक्षा में शामिल होने वाले अभ्यर्थियों की लगभग 50 उत्तर पुस्तिकाएं बदली गईं।
सूत्रों के अनुसार, न्यायमूर्ति सौमित्र दयाल सिंह और अनीश कुमार गुप्ता की पीठ ने 1 जुलाई को राज्य आयोग के अध्यक्ष को एक और हलफनामा दाखिल करने का निर्देश दिया, क्योंकि उप सचिव द्वारा दाखिल पिछले हलफनामे में पूरी जानकारी नहीं थी।
कोर्ट ने यह भी निर्देश दिया कि नए हलफनामे में चल रही जांच की स्थिति, मिली उत्तर पुस्तिकाओं की संख्या और परिणामों का प्रबंधन कैसे किया जाएगा, इसका विवरण दिया जाए।
मामले की अगली सुनवाई 8 जुलाई को होगी।
याचिकाकर्ता की ओर से अधिवक्ता विभु राय और धनंजय राय पेश हुए।
यूपीपीसीएस की ओर से अधिवक्ता निशीथ यादव ने पैरवी की।
2022 की परीक्षा दिसंबर में घोषित की गई थी। प्रारंभिक परीक्षा फरवरी 2023 में आयोजित की गई थी, उसके बाद मई में मुख्य परीक्षा हुई। इसके बाद साक्षात्कार हुए और अगस्त 2023 में अंतिम परिणाम घोषित किए गए। इसके अलावा, उम्मीदवारों द्वारा प्राप्त अंकों को नवंबर 2023 में सार्वजनिक किया गया।
उसे दिए गए अंकों से असंतुष्ट याचिकाकर्ता श्रवण पांडे ने जनवरी 2024 में सूचना के अधिकार अधिनियम (आरटीआई अधिनियम) के तहत एक अनुरोध दायर कर छह पेपरों में अंकों के वितरण का विवरण मांगा।
जब उन्हें पता चला कि उन्हें अंग्रेजी के पेपर में 200 में से केवल 47 अंक मिले हैं, तो उन्होंने प्रार्थना की कि उनकी उत्तर पुस्तिकाएं भी उन्हें दिखाई जाएं।
जब उन्होंने उत्तर पुस्तिकाओं को देखा, तो पाया कि उनमें उनकी लिखावट नहीं थी। उन्होंने यह भी पाया कि हिंदी पेपर की उत्तर पुस्तिका के अंतिम 3-4 पन्नों में उत्तरों को "काट दिया गया" था। इससे पांडे को हाईकोर्ट का दरवाजा खटखटाना पड़ा।
पिछली सुनवाई में, हाईकोर्ट ने राज्य आयोग को निर्देश दिया था कि वह अभ्यर्थी पांडे को सभी छह पेपरों की उत्तर पुस्तिकाएं उपलब्ध कराए, ताकि उनकी लिखावट का मिलान किया जा सके।
आयोग ने बाद में हाईकोर्ट को सूचित किया कि वह अभ्यर्थी के इस आरोप की जांच कर रहा है कि उसकी उत्तर पुस्तिकाओं के साथ छेड़छाड़ की गई है।
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