आम आदमी पार्टी के नेता जसवंत सिंह ने मंगलवार को सुप्रीम कोर्ट में दायर अपनी याचिका वापस ले ली, जिसमें उन्होंने मनी लॉन्ड्रिंग मामले में प्रवर्तन निदेशालय (ईडी) द्वारा उनकी गिरफ्तारी और रिमांड को चुनौती दी थी। [जसवंत सिंह बनाम भारत संघ और अन्य]
न्यायमूर्ति बेला एम त्रिवेदी और न्यायमूर्ति सतीश चंद्र शर्मा की खंडपीठ ने जमानत के लिए पंजाब एवं हरियाणा उच्च न्यायालय जाने की छूट देते हुए उन्हें इसकी अनुमति दे दी।
सुप्रीम कोर्ट ने मई में प्रवर्तन निदेशालय (ईडी) और केंद्र सरकार की सुनवाई किए बिना पंजाब के विधायक और आम आदमी पार्टी (आप) नेता को अंतरिम जमानत देने से इनकार कर दिया था।
सिंह ईडी द्वारा जांचे जा रहे मनी लॉन्ड्रिंग मामले के सिलसिले में छह महीने से अधिक समय से जेल में हैं।
पंजाब और हरियाणा उच्च न्यायालय ने 24 मई को उनकी गिरफ्तारी और रिमांड को रद्द करने से इनकार कर दिया था, जिसके कारण उन्होंने सर्वोच्च न्यायालय में तत्काल अपील दायर की।
सिंह, जो मलेरकोटला के अमरगढ़ विधानसभा क्षेत्र से प्रतिनिधि हैं, पर अपनी कंपनी को दिए गए ऋणों का दुरुपयोग करके बैंकों से ₹40 करोड़ की धोखाधड़ी करने का आरोप है।
उन्होंने आरोप लगाया कि जिस तरह से उन्हें गिरफ्तार किया गया, वह धन शोधन निवारण अधिनियम (पीएमएलए) की धारा 19 का उल्लंघन है।
वरिष्ठ अधिवक्ता विक्रम चौधरी और अधिवक्ता निखिल जैन आज सर्वोच्च न्यायालय में सिंह की ओर से पेश हुए।
सिंह का मामला हाल के दिनों में चौथा ऐसा मामला है, जब न्यायमूर्ति बेला त्रिवेदी के समक्ष जमानत का मामला आरोपी द्वारा वापस लिया गया है।
2018 भीमा कोरेगांव हिंसा मामले में आरोपी प्रोफेसर हनी बाबू ने परिस्थितियों में बदलाव का हवाला देते हुए अपनी जमानत याचिका वापस ले ली।
इससे पहले, दिल्ली दंगों के मामले में आरोपी उमर खालिद ने भी इसी आधार का हवाला देते हुए अपनी जमानत याचिका वापस ले ली थी।
दिल्ली दंगा मामले के एक अन्य आरोपी सलीम मलिक ने भी अपनी जमानत याचिका वापस ले ली थी।
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AAP's Jaswant Singh withdraws plea in Supreme Court challenging arrest by ED