
इलाहाबाद उच्च न्यायालय ने हाल ही में उत्तर प्रदेश के मुजफ्फरनगर में स्कूल में सजा के तौर पर छात्रों को एक मुस्लिम बच्चे की पिटाई करने का निर्देश देने के आरोपी शिक्षक को अग्रिम जमानत देने से इनकार कर दिया।
एकल न्यायाधीश न्यायमूर्ति दीपक वर्मा ने आरोपी तृप्ता त्यागी को दो सप्ताह के भीतर संबंधित अदालत के समक्ष आत्मसमर्पण करने का निर्देश दिया।
न्यायालय ने 23 नवंबर को पारित अपने आदेश में कहा, "आवेदक की उपरोक्त वैकल्पिक प्रार्थना पर विचार करते हुए, यह निर्देश दिया जाता है कि यदि आवेदक आज से दो सप्ताह के भीतर संबंधित निचली अदालत के समक्ष आत्मसमर्पण करता है और नियमित जमानत के लिए आवेदन करता है, तो जमानत आवेदन पर निचली अदालतों द्वारा सतेंद्र कुमार अंतिल बनाम केंद्रीय जांच ब्यूरो और अन्य के मामले में सर्वोच्च न्यायालय द्वारा निर्धारित कानून के अनुसार शीघ्रता से निर्णय लिया जाएगा, जिसकी रिपोर्ट 2021 एससीसी ऑनलाइन एससी 922 में दी गई है।"
फिर भी, न्यायालय ने आगे निर्देश दिया कि शिक्षिका के खिलाफ दो सप्ताह तक या जब तक वह निचली अदालत के समक्ष आत्मसमर्पण नहीं कर देती, तब तक कोई दंडात्मक कार्रवाई नहीं की जाएगी।
त्यागी को छात्रों को एक मुस्लिम छात्र को थप्पड़ मारने के लिए उकसाते हुए देखा गया। कहा जाता है कि त्यागी ने मुस्लिम छात्र के धर्म के बारे में अपमानजनक टिप्पणी की और सहपाठियों को उसे पीटने के लिए उकसाया।
बच्चे को थप्पड़ मारने का वीडियो सोशल मीडिया पर वायरल होने के बाद इस घटना से लोगों में आक्रोश फैल गया था। जिस स्कूल में यह घटना हुई थी, उसे बाद में सील कर दिया गया था।
त्यागी ने बाद में एक वीडियो जारी किया जिसमें किसी भी सांप्रदायिक पहलू से इनकार किया गया, लेकिन स्वीकार किया कि उसने गलती की है।
अग्रिम जमानत की याचिका पर सुनवाई के दौरान त्यागी के वकील ने तर्क दिया कि वह निर्दोष है और उसे गलत इरादे से इस मामले में फंसाया गया है।
उसने यह भी कहा कि इस अपराध के लिए 3 साल से कम की सजा का प्रावधान है।
राज्य सरकार ने याचिका का विरोध किया।
दलीलों पर विचार करने के बाद अदालत ने याचिका खारिज कर दी।
शिक्षक की ओर से अधिवक्ता आशुतोष सिंह और नीतू पेश हुए।
महात्मा गांधी के परपोते तुषार गांधी द्वारा दायर याचिका पर भी सुप्रीम कोर्ट ने विचार किया है। तुषार गांधी ने मामले की समयबद्ध और स्वतंत्र जांच के साथ-साथ धार्मिक अल्पसंख्यकों से जुड़े छात्रों के खिलाफ हिंसा को रोकने के उपाय करने की मांग की है।
शीर्ष अदालत समय-समय पर इस मामले में निर्देश पारित करती रही है।
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Allahabad High Court denies anticipatory bail to teacher who told students to slap Muslim classmate