इलाहाबाद हाईकोर्ट ने छात्रा का धर्म परिवर्तन कराने और यौन शोषण करने के आरोपी शिक्षक की गिरफ्तारी पर रोक लगाई

न्यायालय ने पिछले महीने पारित इसी प्रकार के आदेश में स्कूल प्रिंसिपल की गिरफ्तारी पर रोक लगा दी थी तथा शिक्षक के खिलाफ कथित तौर पर झूठे आरोप लगाने के लिए छात्र के खिलाफ जांच का निर्देश दिया था।
Allahabad High Court , Anti- Conversion Law
Allahabad High Court , Anti- Conversion Law
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इलाहाबाद उच्च न्यायालय ने हाल ही में एक स्कूल शिक्षक की गिरफ्तारी पर रोक लगा दी, जिस पर एक छात्र को ईसाई धर्म में परिवर्तित करने की कोशिश करने और उस पर उसके साथ यौन संबंध बनाने के लिए दबाव डालने का आरोप था [मिस ऑलिव रोहित उर्फ ​​ऑलिव रोज कैलेब और 2 अन्य बनाम यूपी राज्य और 2 अन्य]।

न्यायमूर्ति राजीव गुप्ता और न्यायमूर्ति शिव शंकर प्रसाद की खंडपीठ ने मामले में भारतीय दंड संहिता, उत्तर प्रदेश विधि विरुद्ध धर्म संपरिवर्तन प्रतिषेध अधिनियम और यौन अपराधों से बालकों का संरक्षण अधिनियम (पोक्सो अधिनियम) के प्रावधानों के तहत आरोपी दो अन्य लोगों को भी इसी प्रकार की सुरक्षा प्रदान की।

न्यायालय ने यह आदेश तब पारित किया जब उसे बताया गया कि एक स्वतंत्र जांच में पता चला है कि छात्र की कुछ हरकतों को छिपाने के लिए शिक्षक के खिलाफ आरोप लगाए गए थे।

Justice Rajiv Gupta and Justice Shiv Shanker Prasad
Justice Rajiv Gupta and Justice Shiv Shanker Prasad

जांच पैनल ने पाया कि डांस प्रतियोगिता के अवसर पर छात्र ने शिक्षिका का मोबाइल नंबर लिया था और उसके बाद उसके मोबाइल फोन का इस्तेमाल करके फर्जी आईडी बनाकर फर्जी आईडी पर चैटिंग करने लगा और उस पर दबाव भी बनाने लगा।

मामले को रद्द करने की मांग वाली याचिका पर राज्य सरकार से जवाब मांगते हुए कोर्ट ने कहा,

"इस बीच, याचिकाकर्ताओं के खिलाफ कोई दंडात्मक कार्रवाई नहीं की जाएगी और उन्हें तत्काल एफआईआर के तहत गिरफ्तार नहीं किया जाएगा..."

इसने कानपुर के पुलिस आयुक्त को मामले की जांच साइबर सेल को सौंपने का निर्देश दिया ताकि पता लगाया जा सके कि छात्र ने महिला शिक्षिका के मोबाइल फोन या आईडी का इस्तेमाल करके कोई फर्जी अकाउंट तो नहीं बनाया था।

न्यायमूर्ति अरविंद सिंह सांगवान और न्यायमूर्ति राम मनोहर नारायण मिश्रा की खंडपीठ ने पिछले महीने स्कूल प्रिंसिपल की याचिका पर सुनवाई करते हुए इसी तरह का निर्देश दिया था।

कोर्ट ने यह भी कहा था कि बच्चे की भूमिका की जांच की जानी जरूरी है क्योंकि जांच के निष्कर्ष सही पाए जाने पर वह और उसके पिता - मामले में मुखबिर - आपराधिक मुकदमे के लिए उत्तरदायी हो सकते हैं।

मामले की सुनवाई 10 जुलाई को होगी।

याचिकाकर्ताओं की ओर से अधिवक्ता गौरव त्रिपाठी ने पैरवी की।

राज्य की ओर से अतिरिक्त महाधिवक्ता पीके गिरी ने पैरवी की।

[आदेश पढ़ें]

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Allahabad High Court stays arrest of teacher accused of trying to convert, sexually abuse student

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