बार काउंसिल ऑफ दिल्ली (बीसीडी) ने सोमवार को दिल्ली उच्च न्यायालय को सूचित किया कि उसने नामांकन के लिए दिल्ली-एनसीआर पते के साथ आधार और मतदाता पहचान पत्र को अनिवार्य बनाने वाली अपनी अधिसूचना वापस ले ली है।
मुख्य न्यायाधीश सतीश चंद्र शर्मा और न्यायमूर्ति संजीव नरूला की खंडपीठ ने बीसीडी को चार सप्ताह के भीतर निर्णय अधिसूचित करने का आदेश दिया।
अदालत बिहार निवासी और दिल्ली विश्वविद्यालय से कानून स्नातक वकील रजनी कुमारी द्वारा दायर याचिका पर सुनवाई कर रही थी, जिसमें बीसीडी की अधिसूचना को मनमाना और भेदभावपूर्ण बताते हुए चुनौती दी गई थी।
13 अप्रैल की अधिसूचना में कहा गया है कि बीसीडी में नामांकन कराने का प्रस्ताव रखने वाले वकीलों को दिल्ली या एनसीआर को अपने निवास स्थान के रूप में दर्शाने वाला अपना आधार और मतदाता पहचान पत्र दिखाना होगा।
इसमें कहा गया है कि राष्ट्रीय राजधानी में दाखिला लेने के इच्छुक नए कानून स्नातकों को भी अनिवार्य रूप से दिल्ली/एनसीआर के पते के साथ अपने आधार और मतदाता पहचान पत्र की प्रतियां संलग्न करनी होंगी। इस बात पर जोर दिया गया कि भविष्य में कोई भी नामांकन इन दस्तावेजों को जमा करने पर निर्भर होगा।
अधिवक्ता ललित कुमार, शशांक उपाध्याय और मुकेश के माध्यम से उच्च न्यायालय में दायर याचिका में कहा गया है कि बीसीडी के फैसले से कानून स्नातकों को कानून का अभ्यास करने से रोक दिया जाएगा जो बेहतर संभावनाओं की उम्मीद में देश के विभिन्न हिस्सों से दिल्ली आते हैं।
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