कर्नाटक के उपमुख्यमंत्री डीके शिवकुमार के खिलाफ आय से अधिक संपत्ति मामले की जांच के लिए केंद्रीय जांच ब्यूरो (सीबीआई) को दी गई सहमति वापस लेने के कर्नाटक सरकार के फैसले को भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) के विधायक बसनगौड़ा पाटिल यतनाल ने कर्नाटक उच्च न्यायालय में चुनौती दी है।
न्यायमूर्ति एम नागप्रसन्ना 15 दिसंबर को सुनवाई कर सकते हैं।
25 सितंबर, 2019 को कर्नाटक की भाजपा सरकार ने मामले में शिवकुमार के खिलाफ प्राथमिकी दर्ज करने के लिए सीबीआई की सहमति दी थी।
शिवकुमार ने इसे चुनौती देते हुए उच्च न्यायालय की एकल पीठ के समक्ष एक रिट याचिका दायर की। इस साल चार अप्रैल को याचिका खारिज कर दी गई थी, जिसके बाद शिवकुमार ने खंडपीठ का रुख किया था।
इस बीच, कांग्रेस सरकार इस साल मई में राज्य में सत्ता में आई और 28 नवंबर को उसने सीबीआई को जांच के लिए दी गई सहमति वापस ले ली।
इससे दुखी पाटिल ने उच्च न्यायालय का रुख किया है।
पाटिल के अनुसार, राज्य का आदेश 'अत्यधिक अवैध' है और 'उस कागज के लायक नहीं है जिस पर यह मुद्रित किया गया है' क्योंकि यह काजी लेन्डुप दोरजी बनाम सीबीआई मामले में सुप्रीम कोर्ट द्वारा निर्धारित कानून के खिलाफ है।
पाटिल ने सीबीआई की सहमति वापस लेने वाले आदेश को रद्द करने की मांग की है। इसके अलावा, उन्होंने शिवकुमार के खिलाफ जांच जारी रखने के लिए सीबीआई को निर्देश देने की मांग की है। याचिका में तर्क दिया गया है कि आदेश कानूनी हो या न हो, जांच पूरी करनी होगी।
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