
बॉम्बे हाईकोर्ट ने बुधवार को एक जनहित याचिका (पीआईएल) का निपटारा कर दिया, जिसमें महाराष्ट्र के उपमुख्यमंत्री एकनाथ शिंदे का कथित रूप से मजाक उड़ाने वाले कुणाल कामरा के स्टैंडअप वीडियो को शेयर या री-ट्वीट करने वाले लोगों के खिलाफ आपराधिक कार्रवाई करने से अधिकारियों को रोकने का निर्देश देने की मांग की गई थी।
मुख्य न्यायाधीश आलोक अराधे और न्यायमूर्ति एमएस कार्णिक की खंडपीठ ने कहा कि राज्य ने कामरा के कृत्य को रीट्वीट करने वाले किसी भी व्यक्ति के खिलाफ कोई कार्रवाई नहीं की है।
इसमें यह भी बताया गया कि कामरा को मद्रास उच्च न्यायालय द्वारा अंतरिम अग्रिम जमानत दी गई है और उनके खिलाफ दर्ज एफआईआर को रद्द करने की उनकी याचिका बॉम्बे उच्च न्यायालय के समक्ष लंबित है।
यह जनहित याचिका हर्षवर्धन नवनाथ खांडेकर नामक एक विधि छात्र ने दायर की थी, जिसमें यह घोषित करने की मांग की गई थी कि कामरा का स्टैंडअप संविधान के अनुच्छेद 19 के तहत अभिव्यक्ति की स्वतंत्रता के रूप में संरक्षित है।
कामरा ने अपने स्टैंड-अप शो नया भारत के दौरान एक पैरोडी गीत प्रस्तुत किया, जिसमें कथित तौर पर उपमुख्यमंत्री एकनाथ शिंदे को 'गद्दार' (देशद्रोही) कहा गया था, जो उद्धव ठाकरे की शिवसेना से उनके दलबदल का संकेत था। इसके कारण पार्टी में विभाजन हुआ और भाजपा गठबंधन के माध्यम से शिंदे के गुट का उदय हुआ।
शिवसेना विधायक मुराजी पटेल द्वारा शिकायत दर्ज कराए जाने के बाद कामरा पर भारतीय न्याय संहिता (बीएनएस) की धारा 353(1)(बी), 353(2) और 356(2) के तहत मामला दर्ज किया गया था। कामरा के तमिलनाडु निवासी होने के बावजूद मुंबई में एफआईआर दर्ज की गई।
कामरा ने इसे बॉम्बे हाईकोर्ट में चुनौती दी है और यह लंबित है।
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