क्या भारत 2030 तक 34,000 टन सौर अपशिष्ट को संभाल सकता है? एनजीटी ने स्व: संज्ञान लिया

NGT ने 'डाउन टू अर्थ' पत्रिका मे प्रकाशित लेख के आधार पर स्व: संज्ञान लेते हुए मामले की शुरुआत की, जिसका शीर्षक था 'टाइम्स रन आउट; क्या भारत 2030 तक 34000 टन सौर अपशिष्ट को संभालने के लिए तैयार है?'
NGT, Delhi

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नई दिल्ली में राष्ट्रीय हरित अधिकरण (एनजीटी) की प्रधान पीठ ने भारत में सौर अपशिष्ट प्रबंधन नीति की कमी के बारे में स्वत: संज्ञान लिया और ऐसी नीति तैयार करने के लिए एक संयुक्त समिति के गठन का निर्देश दिया।

NGT ने 'डाउन टू अर्थ' पत्रिका मे प्रकाशित लेख के आधार पर स्व: संज्ञान लेते हुए मामले की शुरुआत की, जिसका शीर्षक था 'टाइम्स रन आउट; क्या भारत 2030 तक 34000 टन सौर अपशिष्ट को संभालने के लिए तैयार है?'

लेख ने बताया कि भारत का महत्वाकांक्षी सौर लक्ष्य वर्ष 2030 तक 280 गीगावॉट है और देश में सौर-अपशिष्ट प्रबंधन कानून की कमी को देखते हुए, एक मजबूत सौर-अपशिष्ट प्रबंधन योजना को लागू करने का समय आ गया है।

इसलिए, न्यायमूर्ति बृजेश सेठी (न्यायिक सदस्य) और प्रोफेसर ए सेंथिल वेल (तकनीकी सदस्य) की खंडपीठ ने इस मुद्दे के संबंध में तथ्यात्मक स्थिति का पता लगाने के लिए एक संयुक्त समिति के गठन का निर्देश दिया।

समिति में शामिल होंगे:

  • सचिव, पर्यावरण, वन और जलवायु परिवर्तन मंत्रालय (एमओईएफ और सीसी), और

  • सचिव, नवीन और नवीकरणीय ऊर्जा मंत्रालय (एमएनआरई)

24 मई 2022 को मामले की फिर से सुनवाई होगी।

[आदेश पढ़ें]

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Can India handle 34,000 tonnes of solar waste by 2030? NGT take suo motu cognizance

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