बॉम्बे हाईकोर्ट ने बुधवार को कहा कि किसी भी राजनीतिक, धार्मिक या वाणिज्यिक संगठन को कानूनी रूप से अपने होर्डिंग लगाने के लिए सड़कों और फुटपाथ जैसे सार्वजनिक स्थानों का उपयोग करने की अनुमति नहीं दी जा सकती है [सुस्वराज्य फाउंडेशन, सतारा और अन्य बनाम कलेक्टर सतारा और अन्य और संबंधित याचिकाएं]
मुख्य न्यायाधीश देवेंद्र कुमार उपाध्याय और न्यायमूर्ति आरिफ डॉक्टर की खंडपीठ ने कहा कि अवैध होर्डिंग और बैनर लगाने से पैदल चलने वालों और अन्य सड़क उपयोगकर्ताओं के लिए खतरा पैदा हो सकता है।
अदालत ने कहा, "किसी भी व्यक्ति या समूह, चाहे वह एक राजनीतिक दल या वाणिज्यिक संगठन या धार्मिक संप्रदाय हो, को कानूनी रूप से व्यक्तिगत लाभ और विज्ञापन के लिए फुटपाथ, स्ट्रीट लाइट और सड़कों जैसे सार्वजनिक स्थानों का उपयोग करने की अनुमति नहीं दी जा सकती है, विशेष रूप से इस तरह के होर्डिंग और बैनर के साथ खतरा पैदल चलने वालों और सड़क के अन्य उपयोगकर्ताओं के लिए होता है।"
इसमें आम जनता से होर्डिंग्स के अवैध प्रतिष्ठानों में शामिल नहीं होने का आग्रह किया गया है।
अदालत 2017 के एक आदेश के अनुपालन की मांग करने वाली अवमानना याचिका सहित याचिकाओं के एक समूह पर सुनवाई कर रही थी, जिसमें अवैध होर्डिंग और बैनर हटाने का आदेश दिया गया था।
बीएमसी की ओर से पेश वरिष्ठ अधिवक्ता अनिल सखारे ने आज एक हलफनामा दायर कर रेखांकित किया कि बीएमसी ने पिछले एक साल में करीब 22 प्राथमिकी दर्ज की और 10,000 से अधिक राजनीतिक बैनर हटा दिए।
हालांकि, याचिकाकर्ताओं ने कहा कि बीएमसी के प्रयासों के बावजूद, फुटपाथों, सार्वजनिक सड़कों और ट्रैफिक लाइट को कवर करने वाले अवैध बैनरों और होर्डिंग्स की संख्या में कमी नहीं आई है।
पीठ ने याचिकाकर्ताओं द्वारा प्रस्तुत तस्वीरों की जांच की और टिप्पणी की कि बेतरतीब अवैध होर्डिंग्स में पैदल चलने वालों और सड़कों का उपयोग करने वालों को बाधित करने की क्षमता है।
अदालत ने बीएमसी से उन सड़कों का प्रचार करने को भी कहा जिन्हें बैनर लगाने की अनुमति दी गई है।
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