केंद्र ने सार्वजनिक परीक्षाओं में अनुचित व्यवहार से निपटने और पेपर लीक को दंडित करने के लिए कानून अधिसूचित किया

अनुचित साधनो का इस्तेमाल वालो को 3-5 साल की जेल,10 लाख तक का जुर्माना हो सकता है।सेवा प्रदाताओ पर 1 करोड़ तक का जुर्माना, संगठित अपराध मे शामिल को कारावास के अलावा ₹1 करोड़ का जुर्माना भी देना होगा
Public Examinations (Prevention of Unfair Means) Act, 2024
Public Examinations (Prevention of Unfair Means) Act, 2024
Published on
2 min read

केंद्र सरकार ने सार्वजनिक परीक्षाओं में अनुचित व्यवहार और प्रश्नपत्र लीक से निपटने के लिए एक कानून अधिसूचित किया है।

सार्वजनिक परीक्षा (अनुचित साधनों की रोकथाम) अधिनियम, 2024 नामक कानून 21 जून से प्रभावी हो गया है और इसका उद्देश्य सार्वजनिक परीक्षाओं में अनुचित साधनों को रोकना और दंडित करना है।

यह अधिनियम सार्वजनिक परीक्षाओं में कई अनुचित गतिविधियों को शामिल करता है जैसे प्रश्नपत्र लीक करना, उत्तर पुस्तिकाओं से छेड़छाड़ करना, बैठने की व्यवस्था में हेराफेरी करना, पैसे के लाभ के लिए धोखाधड़ी करने के लिए फर्जी वेबसाइट बनाना और फर्जी परीक्षा आयोजित करना।

इस कानून का प्रस्ताव करने वाला विधेयक 5 फरवरी को लोकसभा में पेश किया गया था और अगले दिन पारित हो गया। 9 फरवरी को राज्यसभा ने भी विधेयक को पारित कर दिया।

इसे 12 फरवरी को राष्ट्रपति की मंजूरी मिली और 21 जून (शुक्रवार) को केंद्र सरकार ने आधिकारिक राजपत्र में इसे अधिसूचित किया।

स्नातक मेडिकल कॉलेज में प्रवेश के लिए राष्ट्रीय पात्रता सह प्रवेश परीक्षा (NEET) के आयोजन में कथित कदाचार को लेकर देशव्यापी विवाद के बीच कानून की अधिसूचना जारी की गई है।

विश्वविद्यालय अनुदान आयोग-राष्ट्रीय पात्रता परीक्षा (UGC-NET परीक्षा) को भी इसी तरह की चिंताओं के कारण हाल ही में रद्द कर दिया गया था।

नए अधिसूचित अधिनियम में सभी अपराधों को संज्ञेय, गैर-जमानती और गैर-शमनीय बनाया गया है। सार्वजनिक परीक्षाओं में अनुचित साधनों का उपयोग करने वालों को 3-5 साल की कैद हो सकती है और उन पर ₹10 लाख तक का जुर्माना भी लगाया जा सकता है।

जहां अनुचित व्यवहार पाया जाता है, वहां परीक्षा आयोजित करने के लिए नियुक्त किए गए सेवा प्रदाताओं पर ₹1 करोड़ तक का जुर्माना लगाया जा सकता है। ऐसे सेवा प्रदाताओं से परीक्षा की आनुपातिक लागत भी वसूली जाएगी और उन्हें चार साल तक किसी भी सार्वजनिक परीक्षा के संचालन से प्रतिबंधित कर दिया जाएगा।

इसके अलावा, सेवा प्रदाता इकाई के वरिष्ठ अधिकारियों (निदेशक, वरिष्ठ प्रबंधन, प्रभारी व्यक्ति) को भी तीन से दस साल की जेल की सजा और ₹1 करोड़ तक का जुर्माना भरना पड़ेगा, अगर वे अनुचित व्यवहार को बढ़ावा देने की किसी योजना का हिस्सा पाए जाते हैं।

अगर कोई व्यक्ति या समूह, जिसमें सार्वजनिक परीक्षा प्राधिकरण और सेवा प्रदाता शामिल हैं, परीक्षा के संचालन के संबंध में कोई संगठित अपराध करते पाए जाते हैं, तो उन्हें पांच से दस साल की कैद और कम से कम ₹1 करोड़ का जुर्माना भरना पड़ेगा।

भारतीय न्याय संहिता, 2023 के अनुसार, जुर्माना न भरने पर अतिरिक्त कारावास होगा। अधिनियम में कहा गया है कि जब तक भारतीय न्याय संहिता लागू नहीं हो जाती, तब तक भारतीय दंड संहिता (आईपीसी) लागू रहेगी।

[अधिनियम पढ़ें]

Attachment
PDF
Public_Examinations__Prevention_of_Unfair_Means__Act__2024.pdf
Preview

और अधिक पढ़ने के लिए नीचे दिए गए लिंक पर क्लिक करें


Centre notifies law to tackle unfair practices, punish paper leaks in public exams

Hindi Bar & Bench
hindi.barandbench.com