

भारत के मुख्य न्यायाधीश (सीजेआई) बीआर गवई ने केंद्रीय कानून मंत्रालय को पत्र लिखकर न्यायमूर्ति सूर्यकांत को 23 नवंबर को सेवानिवृत्त होने पर मुख्य न्यायाधीश का पदभार संभालने की सिफारिश की है।
न्यायमूर्ति सूर्यकांत को 24 मई, 2019 को भारत के सर्वोच्च न्यायालय के न्यायाधीश के रूप में पदोन्नत किया गया।
सर्वोच्च न्यायालय में उनका कार्यकाल 9 फ़रवरी, 2027 तक है। इसलिए, वे 14 महीने से अधिक के अपेक्षाकृत लंबे कार्यकाल के लिए भारत के मुख्य न्यायाधीश के रूप में कार्य करेंगे।
न्यायमूर्ति कांत का जन्म 10 फ़रवरी, 1962 को हरियाणा के हिसार में एक मध्यमवर्गीय परिवार में हुआ था। उन्होंने 1981 में हिसार के राजकीय स्नातकोत्तर महाविद्यालय से स्नातक की उपाधि प्राप्त की। उन्होंने 1984 में रोहतक स्थित महर्षि दयानंद विश्वविद्यालय से विधि स्नातक की उपाधि प्राप्त की।
न्यायमूर्ति कांत ने 1984 में हिसार जिला न्यायालय में वकालत शुरू की। 1985 में उन्होंने पंजाब एवं हरियाणा उच्च न्यायालय में अपनी वकालत स्थानांतरित कर दी।
मार्च 2001 में उन्हें वरिष्ठ अधिवक्ता नियुक्त किया गया। 9 जनवरी, 2004 को पंजाब एवं हरियाणा उच्च न्यायालय में स्थायी न्यायाधीश के रूप में पदोन्नत होने तक वे हरियाणा के महाधिवक्ता के पद पर रहे।
मई 2019 में सर्वोच्च न्यायालय में पदोन्नत होने से पहले, उन्हें 5 अक्टूबर, 2018 से हिमाचल प्रदेश उच्च न्यायालय का मुख्य न्यायाधीश नियुक्त किया गया था।
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