दिल्ली HC ने 2जी स्पेक्ट्रम मामले में शीघ्र सुनवाई का सीबीआई और ईडी का आग्रह स्वीकारा, 5 अक्टूबर से रोजाना होगी सुनवाई

सीबीआई और ईडी ने न्यायमूर्ति सेठी के नवंबर, 2020 में सेवानिवृत्त होने से पहले उनकी अपील विचारार्थ स्वीकार करने के बारे में फैसले के लिये शीघ्र सुनवाई का अनुरोध किया था
A Raja; 2G Appeals before Delhi HC
A Raja; 2G Appeals before Delhi HC
Published on
3 min read

दिल्ली उच्च न्यायालय ने 2जी स्पेक्ट्रम मामले मं सभी आरोपियों को बरी करने के फैसले के खिलाफ केन्द्रीय जांच ब्यूरो और प्रवर्तन निदेशालय की अपील पर शीघ्र सुनवाई का अनुरोध आज स्वीकार कर लिया।

न्यायमूर्ति बृजेश सेठी की एकल पीठ ने इस संबंध में आदेश पारित किया।

सीबीआई और ईडी ने इस मामले में वीडियो कांफ्रेंस के माध्यम से शीघ्र सुनवाई करने का अनुरोध किया था ताकि न्यायमूर्ति सेठी के नवंबर, 2020 के अंत में सेवानिवृत्त होने से पहले उनकी अपील विचारार्थ स्वीकार करने के बारे में निर्णय हो सके।

अतिरिक्त सालिसीटर जनरल संजय जैन ने दलील दी थी कि जनहित और न्यायालय का समय बचाने के लिये इस पर पहले से निर्धारित 12 अक्टूबर से पहले सुनवाई की जानी चाहिए।

इस मामले में ए. राजा और के. कणिमोझी सहित बरी किये गये सभी आरोपियों ने शीघ्र सुनवाई के आवेदन का विरोध करते हुये कहा था कि इस समय उच्च न्यायालय सिर्फ उन्हीं लंबित आपराधिक मामलों की सुनवाई कर रहा है जिसमे आरोपी हिरासत में हैं और पेश मामले में सुनवाई की कोई जल्दी नहीं है।

अधिवक्ता ने दावा किया था कि एक न्यायाधीश के सेवानिवृत्त होने के आधार पर सुनवाई की तारीख पहले करना कोई कानूनी आधार नहीं है।

अधिवक्ता ने इस मामले के भारी भरकम रिकार्ड का जिक्र करते हुये कहा था कि इस वजह से वीडियो कांफ्रेंस के माध्यम से सुनवाई व्यावहारिक नहीं होगी।

प्रतिवादियों को इस अदालत को यह समझाने के लिए कि इन मामलों में ध्यान देने की आवश्यकता है, ऐसे अन्य मामलों को समझने के लिए विद्वानों द्वारा महान दुख उठाए गए हैं। कुछ मामलों में, अपराधी जेल में बंद हैं और उनकी अपील को पहले सुना जाना चाहिए और फैसला किया जाना चाहिए। यह प्रशंसनीय है कि अधिवक्ता न केवल अपने स्वयं के मामलों से संबंधित हैं, बल्कि अन्य लंबित मामलों के निस्तारण के बारे में भी चिंतित हैं, जिनमें अभियुक्त जेल में हैं। यह न्यायालय उन मामलों को सुनने के लिए अपने कर्तव्य के प्रति सचेत है। जेल में निरुद्ध उन दोषियों की आपराधिक अपीलें इस अदालत द्वारा वर्तमान में खंडपीठ में बैठकर सुनी और तय की जा रही हैं।
न्यायधीश सेठी ने कहा

सीबीआई की विशेष अदालत द्वारा दिसंबर, 2017 में सभी आरोपियों को बरी किये जाने के बाद सीबीआई और प्रवर्तन निदेशालय ने मार्च 2018 में उच्च न्यायालय में अपील दायर की थी।


इसके बाद से ही यह मामला अधर में लटका हुआ है और इसे अभी उच्च न्यायालय द्वारा विचारार्थ स्वीकार किये जाने की बाधा लांघनी है।

पिछले साल, न्यायालय ने इन अपील को लगभग दैनिक आधार पर सूचीबद्ध करना शुरू किया था। लेकिन कोविड-19 की वजह से उत्पन्न व्यवधान के कारण यह तारतम्य टूट गया था।

.. कोई संदेह नहीं है कि जल्दी सुनवाई के लिए आवेदन पत्र दाखिल करने में देरी हो सकती है; इसमें कोई संदेह नहीं है कि दस्तावेज़ प्रकृति में स्वैच्छिक हैं; कोई शक नहीं कि सबूत हजारों पन्नों में चलता है; इसमें कोई शक नहीं कि फैसले में से एक भी 1552 पृष्ठों में चलता है, लेकिन इसका मतलब यह नहीं है कि यह आपराधिक याचिकाओं की सुनवाई में इस अदालत को रोकना चाहिए। न्यायिक अनुशासन की मांग है कि न्यायाधीश को अपना कर्तव्य निभाना चाहिए और निराशावाद के आगे नहीं झुकना चाहिए और यह अपेक्षा नहीं है कि वह अपने कलम के साथ इत्मीनान से बैठेगा और यह कहेगा कि वह मामलों की सुनवाई नहीं करेगा क्योंकि रिकॉर्ड स्वैच्छिक है और समय उसका निपटान सीमित है।

ए.राजा की ओर से अधिवक्ता मनु शर्मा, शाहिद बलवा, आसिफ बलवा और अन्य की ओर से अधिवक्ता विजय अग्रवाल, के. कणिमोझी और संजय चंद्रा की ओर से अधिवक्ता तरन्नुम चीमा पेश हुये। शरद कुमार का प्रतिनिधित्व अधिवक्ता आर. बालाजी ने किया।

अन्य आरोपी व्यक्तियों की ओर से अधिवक्ता सिद्धार्थ अगरवाल, डीपी सिंह, मनाली सिंघल, जे. एरिस्टोटल, वंदना वर्मा, वरूण शर्मा और साहित मोदी पेश हुये।


रवि कांत रूइया और अन्य की ओर से वरिष्ठ अधिवक्ता दायन कृष्णन अधिवक्ता अर्षदीप सिंह के साथ पेश हुये।

और अधिक पढ़ने के लिए नीचे दिये गए लिंक पर क्लिक करें

[BREAKING] Delhi HC allows early hearing plea by CBI, ED in 2G Appeals; Case to be taken up on daily basis from Oct 5

Hindi Bar & Bench
hindi.barandbench.com