दिल्ली उच्च न्यायालय ने सोमवार को प्रवर्तन निदेशालय (ईडी) को निर्देश दिया कि वह अरविंद केजरीवाल के मामले में निचली अदालत में स्थिति रिपोर्ट दाखिल करे।
कार्यवाहक मुख्य न्यायाधीश मनमोहन और न्यायमूर्ति मनमीत प्रीतम सिंह अरोड़ा की खंडपीठ ने एक जनहित याचिका पर सुनवाई करते हुए यह आदेश पारित किया, जिसमें हिरासत में रहते हुए केजरीवाल को निर्देश जारी करने से रोकने का अनुरोध किया गया था।
अदालत ने याचिकाकर्ता से कहा कि यदि कोई उल्लंघन हुआ है तो उसे ईडी के संज्ञान में लाया जा सकता है जो इसे निचली अदालत के न्यायाधीश के संज्ञान में लाएगा।
इसके बाद उसने ईडी को स्थिति रिपोर्ट दाखिल करने का निर्देश जारी करने से पहले याचिका को एक प्रतिनिधित्व के रूप में लेने का सुझाव दिया। तदनुसार, याचिका का निपटारा किया गया।
यह जनहित याचिका सुरजीत सिंह यादव नाम के एक व्यक्ति ने दायर की थी, जो किसान और कार्यकर्ता होने का दावा करता है।
केजरीवाल को प्रवर्तन निदेशालय (ईडी) ने कथित दिल्ली आबकारी नीति मामले के संबंध में 21 मार्च को गिरफ्तार किया था।
दिल्ली की मंत्री आतिशी ने 25 मार्च को दावा किया था कि केजरीवाल ने उन्हें ईडी की हिरासत से एक दस्तावेज भेजा है, जिसमें पानी और सीवरेज से संबंधित लोगों के मुद्दों को हल करने के निर्देश दिए गए हैं।
26 मार्च को केजरीवाल ने कथित तौर पर एक और निर्देश जारी करते हुए स्वास्थ्य मंत्री सौरभ भारद्वाज से यह सुनिश्चित करने के लिए कहा कि दिल्ली के सरकारी अस्पतालों और मोहल्ला क्लीनिकों में मुफ्त दवाएं और परीक्षण उपलब्ध हों।
ईडी ने केजरीवाल द्वारा जारी निर्देशों का संज्ञान लिया है और एजेंसी जांच करेगी कि क्या ये निर्देश अदालत के आदेशों के अनुरूप हैं।
यादव ने ईडी को यह निर्देश देने की मांग की है कि जब केजरीवाल जेल में हों तो उन्हें टाइपिस्ट, कंप्यूटर या प्रिंटर मुहैया नहीं कराया जाए।
उन्होंने केजरीवाल के खिलाफ शिकायत दर्ज करने और जांच की भी मांग की है कि उनके द्वारा जारी किए गए आदेश और निर्देश आतिशी जैसे मंत्रियों तक कैसे पहुंच रहे हैं।
यादव ने केजरीवाल को दिल्ली के मुख्यमंत्री पद से हटाने के लिए अलग से एक जनहित याचिका दायर की थी।
उच्च न्यायालय ने 28 मार्च को याचिका खारिज कर दी थी।
इससे पहले, यादव ने एक जनहित याचिका दायर कर मांग की थी कि वह केजरीवाल, राहुल गांधी और अखिलेश यादव के खिलाफ कार्रवाई करने के लिए गृह मंत्रालय और चुनाव आयोग को निर्देश दे।
यादव ने कहा था कि विपक्षी नेताओं ने यह दावा करके केंद्र सरकार की मानहानि की थी कि उसने कॉरपोरेट्स के लगभग 16 लाख करोड़ रुपये के कर्ज को माफ कर दिया है।
इस याचिका को हाईकोर्ट ने 20 मार्च को खारिज कर दिया था।
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