दिल्ली चुनाव: पूर्व न्यायाधीश ने राजनीतिक दलों के भ्रष्ट आचरण के खिलाफ हाईकोर्ट का रुख किया

सेवानिवृत्त न्यायमूर्ति एस.एन. ढींगरा की याचिका में तर्क दिया गया है कि मतदाताओं को नकदी वितरित करने का वादा करने वाली पार्टियाँ भ्रष्ट चुनावी प्रथा के समान हैं।
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दिल्ली उच्च न्यायालय ने आगामी दिल्ली विधानसभा चुनावों से पहले मतदाताओं को नकदी वितरित करने के राजनीतिक दलों द्वारा किए गए वादों को चुनौती देने वाली याचिका पर तत्काल सुनवाई करने से सोमवार को इनकार कर दिया।

वर्तमान याचिका सेवानिवृत्त न्यायमूर्ति एसएन ढींगरा द्वारा दायर की गई है। उन्होंने तर्क दिया कि ये गतिविधियाँ न केवल चुनावी कानूनों का उल्लंघन करती हैं, बल्कि मतदाताओं के मौलिक अधिकारों का भी हनन करती हैं और चुनाव के स्वतंत्र और निष्पक्ष संचालन में गंभीर रूप से बाधा डालती हैं।

मुख्य न्यायाधीश देवेंद्र कुमार उपाध्याय और न्यायमूर्ति तुषार राव गेडेला की पीठ ने याचिका को तत्काल सूचीबद्ध करने से इनकार कर दिया।

Chief Justice Devendra Kumar Upadhyay and Justice Tushar Rao Gedela
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Former Justice SN Dhingra
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याचिका में दिल्ली में स्वतंत्र और निष्पक्ष चुनाव सुनिश्चित करने के लिए निगरानी तंत्र स्थापित करने का भी आग्रह किया गया है।

इसमें आगे बताया गया है कि भारतीय जनता पार्टी (भाजपा), आम आदमी पार्टी (आप) और भारतीय राष्ट्रीय कांग्रेस (आईएनसी) सहित राजनीतिक दलों को संसद और राज्य विधानसभाओं में कार्यालय स्थान आवंटित किए गए हैं, साथ ही केंद्र सरकार द्वारा राष्ट्रीय राजधानी में उनके पार्टी कार्यालयों के लिए मामूली कीमत पर जमीन भी आवंटित की गई है।

याचिका में आप की “मुख्यमंत्री महिला सम्मान योजना”, भाजपा की “महिला समृद्धि योजना” और कांग्रेस की “प्यारी दीदी योजना” का उल्लेख किया गया है, जिसके माध्यम से पार्टियों ने सत्ता में आने पर मतदाताओं को नकद लाभ देने का वादा किया है।

यह तर्क दिया गया है कि ये कार्य जनप्रतिनिधित्व अधिनियम, 1951 के प्रावधानों का उल्लंघन करते हैं, विशेष रूप से धारा 123(1) (भ्रष्ट आचरण), धारा 127ए (अनधिकृत चुनाव सामग्री), और भारतीय न्याय संहिता, 2023 (चुनावों के दौरान रिश्वतखोरी और अनुचित प्रभाव के अपराध) की धारा 170 और 171।

यह भी दावा किया गया है कि इन योजनाओं के माध्यम से, पार्टियाँ मतदाताओं की व्यक्तिगत और चुनावी जानकारी उनकी स्पष्ट सहमति के बिना एकत्र कर रही हैं, जो उनके निजता के अधिकार का उल्लंघन है।

याचिका में इस बात पर जोर दिया गया है कि लोकतांत्रिक व्यवस्था में राजनीतिक दलों की भूमिका और उनके द्वारा निभाए जाने वाले कर्तव्य उनके सार्वजनिक चरित्र को दर्शाते हैं।

याचिका अधिवक्ता अमित ग्रोवर, सिद्धार्थ बोरगोहेन और हर्षवर्धन शर्मा के माध्यम से दायर की गई है।

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Delhi Elections: Former judge moves High Court against corrupt practices by political parties

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