दिल्ली उच्च न्यायालय ने गुरुवार को एक जनहित याचिका (पीआईएल) खारिज कर दी, जिसमें अरविंद केजरीवाल के सहयोगी बिभव कुमार द्वारा उन पर कथित हमले के संबंध में आप की राज्यसभा सांसद स्वाति मालीवाल की पहचान उजागर करने वाले मीडिया घरानों के खिलाफ कार्रवाई की मांग की गई थी।
कार्यवाहक मुख्य न्यायाधीश मनमोहन और न्यायमूर्ति मनमीत प्रीतम सिंह अरोड़ा की खंडपीठ ने कहा कि याचिका के पीछे राजनीतिक रंग है और मालीवाल खुद मीडिया में गई थीं और मामले के बारे में बात की थीं।
कोर्ट ने टिप्पणी की, "पीड़िता इसके बारे में बात कर रही है। वह सभी चैनलों पर जाकर बात कर रही है।"
कोर्ट ने याचिकाकर्ता अधिवक्ता संसार पाल सिंह को जनहित याचिका दायर करने के लिए फटकार लगाई और कहा कि यह प्रचार के लिए दायर की गई राजनीतिक रंग की याचिका है।
याचिकाकर्ता ने अपनी जनहित याचिका में कहा कि वह यह जानकर हैरान हैं कि मालीवाल मामले में दर्ज प्राथमिकी (एफआईआर) समाचार चैनलों और सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म के माध्यम से सार्वजनिक रूप से प्रसारित की जा रही है।
सिंह ने मीडिया घरानों को निर्देश देने की मांग की कि वे पीड़िता (मालीवाल) का नाम आगे प्रसारित या पोस्ट न करें।
उन्होंने यौन अपराध/हिंसा के अन्य मामलों में पीड़ितों के नाम और पहचान का खुलासा न करने के निर्देश भी मांगे।
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