आईएएस अधिकारी औंजनेय कुमार सिंह ने 2019 के लोकसभा चुनाव के दौरान आदर्श आचार संहिता के उल्लंघन के लिए आजम खान के खिलाफ एफआईआर का आदेश दिया था। जनहित याचिका में कहा गया कि सिंह को कानूनों का उल्लंघन कर यूपी में तैनात किया गया था।
कार्यवाहक मुख्य न्यायाधीश मनमोहन और न्यायमूर्ति मनमीत प्रीतम सिंह अरोड़ा की खंडपीठ ने विजय कुमार द्वारा दायर जनहित याचिका को खारिज कर दिया, जिसमें आरोप लगाया गया था कि सिंह कानूनों का उल्लंघन करते हुए 2015 से उत्तर प्रदेश में तैनात हैं।
न्यायालय ने कहा कि सेवा मामलों में एक जनहित याचिका सुनवाई योग्य नहीं है और केवल गैर-नियुक्त व्यक्ति ही सफल उम्मीदवार/अधिकारी की वैधता या विस्तार पर हमला कर सकते हैं।
अदालत ने आदेश दिया “उपरोक्त के मद्देनजर, इस न्यायालय का मानना है कि वर्तमान रिट याचिका सुनवाई योग्य नहीं है। तदनुसार, इसे आवेदनों के साथ खारिज किया जाता है।”
कुमार ने जनहित याचिका दायर कर केंद्र सरकार को उनके अभ्यावेदन पर विचार करने और समयबद्ध तरीके से निर्णय लेने और सिंह की अवैध पोस्टिंग के संबंध में कार्रवाई करने का निर्देश देने की मांग की।
उन्होंने प्रस्तुत किया कि सिंह वर्ष 2015 से प्रतिनियुक्ति पर उत्तर प्रदेश में तैनात हैं और उनकी पोस्टिंग के साथ-साथ आगे का विस्तार अखिल भारतीय सेवा नियमों के नियम 6 (2) (ii) और संबंधित कैडर के खंड 15 और 16 के विपरीत है।
कोर्ट ने मामले पर विचार किया और याचिका खारिज कर दी।
समाचार रिपोर्टों के अनुसार, सिंह ने 2019 के लोकसभा चुनाव के दौरान आदर्श आचार संहिता के कथित उल्लंघन के लिए आजम खान और उनके बेटे के खिलाफ कार्रवाई की।
खान ने इन प्राथमिकियों के संबंध में अपना दोष स्वीकार कर लिया था और जेल भी गए थे।
सिंह वर्तमान में मुरादाबाद के मंडलायुक्त के पद पर तैनात हैं।
याचिकाकर्ता विजय कुमार की ओर से अधिवक्ता अनुज कुमार गर्ग, विपिन कुमार और पारुल वर्मा उपस्थित हुए।
अधिवक्ता अर्जुन महाजन, जीतेंद्र कुमार त्रिपाठी, नेहा राय और ऋषभ भल्ला ने भारत संघ का प्रतिनिधित्व किया।
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