
दिल्ली उच्च न्यायालय ने बुधवार को राष्ट्रीय राजधानी में स्थापित सीसीटीवी कैमरों की रिकॉर्डिंग को सार्वजनिक करने के निर्देश देने की मांग वाली याचिका को खारिज कर दिया [सेव इंडिया फाउंडेशन बनाम दिल्ली सरकार और अन्य]।
मुख्य न्यायाधीश देवेंद्र कुमार उपाध्याय और न्यायमूर्ति तुषार राव गेडेला की खंडपीठ ने कहा कि हर चीज़ सार्वजनिक नहीं हो सकती और याचिकाकर्ता जनता से पुलिसिंग करने की मांग कर रहा है।
न्यायालय ने टिप्पणी की, "सहभागी लोकतंत्र का मतलब यह नहीं है कि कल आप [सीमाओं पर] युद्ध में भाग लेंगे... हम ऐसी प्रार्थनाओं को स्वीकार नहीं कर सकते।"
इसके अलावा, न्यायालय ने कहा कि यदि प्रार्थना स्वीकार कर ली जाती है, तो यह याचिकाकर्ता को पुलिसिंग के अधिकार प्रदान करने के समान होगा।
न्यायालय ने कहा, "हमें डर है कि हम ऐसी प्रार्थना स्वीकार नहीं कर सकते क्योंकि पुलिस द्वारा पुलिसिंग के अपने सामान्य कर्तव्यों के तहत प्रमुख स्थानों पर सीसीटीवी कैमरे लगाए जाते हैं। यदि हम किसी व्यक्ति या संगठन को सीसीटीवी फुटेज साझा करने की अनुमति देते हैं, तो यह उस व्यक्ति या संगठन को पुलिसिंग के क्षेत्र में प्रवेश करने की अनुमति देने जैसा होगा।"
न्यायालय ने रेखांकित किया कि इस प्रकार की याचिका को अनुमति नहीं दी जा सकती।
न्यायालय गैर सरकारी संगठन सेव इंडिया फाउंडेशन द्वारा दायर एक जनहित याचिका (पीआईएल) पर सुनवाई कर रहा था।
इसमें शहर भर में लगे सीसीटीवी कैमरों की फीड अपलोड करने और साझा करने के लिए अधिकारियों को निर्देश देने की मांग की गई थी।
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Delhi High Court rejects PIL to make Delhi's CCTV footage public