दिल्ली उच्च न्यायालय ने समाप्त हो चुके खाद्य उत्पादों की बिक्री से निपटने के लिए स्वत: संज्ञान जनहित याचिका शुरू की

यह जनहित याचिका तब शुरू की गई जब एकल न्यायाधीश ने उस मामले का जिक्र किया जिसमें हर्षे के चॉकलेट उत्पादों को तीसरे पक्ष द्वारा फिर से पैक किया गया था और समाप्ति तिथि के बाद बाजार में बेचा गया था।
Delhi High Court
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दिल्ली उच्च न्यायालय ने ऐसे कई मामले सामने आने के बाद स्वत: संज्ञान लेते हुए जनहित याचिका (पीआईएल) शुरू की है, जहां एक्सपायर हो चुके खाद्य उत्पादों को नई समाप्ति तिथियों के साथ दोबारा पैक किया जाता था या फिर से ब्रांड किया जाता था और बाजारों में बेचा जाता था। [Court on its own motion v Atul Jalan Trading as Akshat Online Traders and Ors]

कार्यवाहक मुख्य न्यायाधीश मनमोहन और न्यायमूर्ति मनमीत प्रीतम सिंह अरोड़ा की खंडपीठ ने आठ जनवरी को मामले की सुनवाई की और केंद्र सरकार, दिल्ली सरकार, भारतीय खाद्य सुरक्षा एवं मानक प्राधिकरण (एफएसएसएआई) और दिल्ली पुलिस से जवाब मांगा।

अदालत ने उनसे आठ फरवरी तक जवाब दाखिल करने को कहा है।

पीठ ने अधिवक्ता श्वेताश्री मजूमदार को इस मामले में न्याय मित्र नियुक्त किया है।

एकल न्यायाधीश न्यायमूर्ति प्रतिभा एम सिंह ने मामले को न्यायिक पक्ष से निपटने के लिए कार्यवाहक मुख्य न्यायाधीश के पास भेज दिया था, जिसके बाद स्वत: संज्ञान लेते हुए जनहित याचिका दायर की गई।

न्यायमूर्ति सिंह जानी-मानी चॉकलेट कंपनी हर्षे द्वारा दायर एक मुकदमे की सुनवाई कर रहे थे, जिसमें कुछ जालसाजों पर रोक लगाने की मांग की गई थी, जो हर्षे के उत्पादों की रीब्रांडिंग और बिक्री कर रहे थे। कई मामलों में पाया गया कि उत्पादों को एक्सपायरी अवधि के बाद ऐसे जालसाजों द्वारा बिक्री के लिए रखा गया था।  

एकल-न्यायाधीश ने निष्कर्ष निकाला कि मुकदमे ने सार्वजनिक स्वास्थ्य से जुड़ी एक असाधारण स्थिति का खुलासा किया, विशेष रूप से भोजन से संबंधित।

न्यायमूर्ति सिंह ने यह भी कहा कि यह स्पष्ट है कि एक समन्वित और व्यवस्थित तंत्र है जिसके द्वारा समाप्त हो चुके उत्पादों को नई समाप्ति तिथियों के साथ फिर से पैक या फिर से ब्रांडकिया जा रहा है और बाजारों में पेश किया जा रहा है।

इसलिए उन्होंने इस मामले में दिल्ली पुलिस को विस्तृत जांच का आदेश भी दिया।

हर्षे की ओर से अधिवक्ता उर्फी रूमी, जानकी अरुण, अनुजा चौधरी, रितेश कुमार और आयुष दीक्षित पेश हुए।

केंद्र सरकार का प्रतिनिधित्व केंद्र सरकार के स्थायी वकील (सीजीएससी) हरीश वैद्यनाथन शंकर के साथ-साथ अधिवक्ता श्रीश कुमार मिश्रा, अलेक्जेंडर मथाई पेडडे और कृष्णन वी ने किया।

[आदेश पढ़ें]

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