
दिल्ली उच्च न्यायालय ने हाल ही में दिल्ली पुलिस को दिल्ली दंगों के एक मामले की केस डायरी सुरक्षित रखने का निर्देश दिया है जिसमें पिंजरा तोड़ कार्यकर्ता देवांगना कलिता एक आरोपी हैं [देवांगना कलिता बनाम दिल्ली राज्य]।
न्यायमूर्ति जसमीत सिंह ने कलिता की याचिका पर यह निर्देश पारित किया, जिसमें दिल्ली पुलिस को केस डायरियों को फिर से बनाने और संरक्षित करने के निर्देश देने की मांग की गई थी।
अदालत ने आदेश दिया कि "यह निर्देश दिया जाता है कि वर्तमान मामले में शामिल केस डायरियों को प्रतिवादी द्वारा संरक्षित किया जाए और विशेष रूप से खंड संख्या 9989 और खंड संख्या 9990 को संरक्षित किया जाए।"
अदालत ने आगे कहा कि मामले की सुनवाई कर रहे मेट्रोपॉलिटन मजिस्ट्रेट का कोई भी निर्णय कलिता की वर्तमान याचिका के परिणाम के अधीन होगा।
कलिता ने 2020 में जाफराबाद मेट्रो स्टेशन के पास नागरिकता संशोधन अधिनियम के विरोध में हुए प्रदर्शन और सड़क जाम से संबंधित आपराधिक मामले की केस डायरी में गवाहों के बयानों के साथ छेड़छाड़ और पूर्व-तिथि का आरोप लगाया है।
हाईकोर्ट इस मामले की अगली सुनवाई 31 जनवरी, 2025 को करेगा।
एक ट्रायल कोर्ट ने पहले केस डायरी को सुरक्षित करने से इनकार कर दिया था, यह कहते हुए कि दंड प्रक्रिया संहिता (सीआरपीसी) की धारा 161 के तहत दर्ज बयान सबूत का एक महत्वपूर्ण हिस्सा भी नहीं हैं।
6 नवंबर को पारित आदेश में न्यायालय ने कहा, "आरोपी व्यक्तियों के वकील की दलीलों में दम हो सकता है, लेकिन इस स्तर पर यह न्यायालय आरोपों की सत्यता और सच्चाई पर विचार नहीं कर सकता।"
कलिता की ओर से अधिवक्ता आदित एस पुजारी, वान्या छाबड़ा, सिद्धार्थ कौशल और चैतन्य सुंदरियाल पेश हुए।
अतिरिक्त लोक अभियोजक सुनील कुमार गौतम, अधिवक्ता अनुज हांडा, सान्या हांडा, शुभम पांडे, गौतमी शांडिल्य राज्य की ओर से पेश हुए।
[आदेश पढ़ें]
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