सुप्रीम कोर्ट ने हाल ही में छत्तीसगढ़ उच्च न्यायालय द्वारा जमानत के लिए शर्त के रूप में एक अभियुक्त को ₹70 लाख जमा करने के निर्देश को रद्द कर दिया। [सुभाष चौहान बनाम भारत संघ और अन्य]
न्यायमूर्ति कृष्ण मुरारी और न्यायमूर्ति बी वी नागरत्ना की पीठ ने कहा कि यह निर्देश बनाए रखने के लिए उत्तरदायी नहीं था और इसे खारिज कर दिया।
न्यायालय छत्तीसगढ़ उच्च न्यायालय के 21 जून, 2022 के एक आदेश की चुनौती पर सुनवाई कर रहा था, जिसमें कुछ शर्तों के अधीन माल और सेवा कर अधिनियम (जीएसटी अधिनियम) के तहत एक मामले में अपीलकर्ता को जमानत दी गई थी।
शर्तों में से एक यह थी कि अपीलकर्ता को अपनी रिहाई की तारीख से 45 दिनों की अवधि के भीतर प्रधान आयुक्त, सीजीएसटी, रायपुर के पक्ष में ₹70 लाख की राशि जमा करनी होगी।
अपीलकर्ता की ओर से पेश वकील ने तर्क दिया कि स्थिति टिकाऊ नहीं थी क्योंकि पहली सूचना रिपोर्ट (एफआईआर) गलत तरीके से लगभग 7 करोड़ रुपये के इनपुट टैक्स क्रेडिट का लाभ उठाने के संबंध में थी और इस संबंध में जीएसटी अधिनियम के तहत कोई अंतिम आकलन नहीं था।
इसलिए, वकील ने तर्क दिया कि प्राथमिकी के आधार पर यह नहीं माना जा सकता है कि अपीलकर्ता राशि का भुगतान करने के लिए कानूनी दायित्व के तहत था।
केंद्र सरकार की ओर से पेश अतिरिक्त सॉलिसिटर जनरल (एएसजी) केएम नटराज ने भी कहा कि जमानत देते समय ऐसी शर्त नहीं लगाई जा सकती है।
इन दलीलों को ध्यान में रखते हुए कोर्ट ने अपील किए गए निर्देश को रद्द कर दिया था।
[आदेश पढ़ें]
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