इलाहाबाद उच्च न्यायालय में एक जनहित याचिका (पीआईएल) दायर कर 2 जुलाई को हाथरस में हुई भगदड़ की केंद्रीय जांच ब्यूरो (सीबीआई) जांच और स्वतंत्र न्यायिक जांच की मांग की गई है।
उत्तर प्रदेश के हाथरस जिले में एक धार्मिक आयोजन में मची भगदड़ में 116 से ज़्यादा लोगों की मौत हो गई और 200 से ज़्यादा लोग घायल हो गए।
यह घटना सिकंदराराऊ पुलिस स्टेशन के अधिकार क्षेत्र के अंतर्गत आने वाले फुलराई गांव में स्वयंभू संत नारायण साकार हरि द्वारा आयोजित ‘सत्संग’ के दौरान हुई।
अधिवक्ता गौरव द्विवेदी द्वारा दायर याचिका में आरोप लगाया गया है कि जिला अधिकारियों की लापरवाही के कारण भगदड़ मची।
याचिका में कहा गया है, "भारत के विभिन्न राज्यों से आए श्रद्धालुओं की सुरक्षा के प्रति पुलिस और जिला प्रशासन का इस प्रकार का गैरजिम्मेदाराना व्यवहार और लापरवाही, उत्तर प्रदेश के नागरिकों का सरकारी तंत्र और राज्य की कानूनी प्रणाली पर से विश्वास खत्म कर देगी।"
इसमें कहा गया है कि प्राधिकारियों के पास किसी भी अवांछित स्थिति को रोकने और नियंत्रित करने के लिए सभी आवश्यक तंत्र मौजूद हैं तथा राज्य सरकार बेहतर प्रशासन के लिए नई तकनीकों पर महत्वपूर्ण सार्वजनिक धन खर्च करती है।
याचिका में आगे कहा गया है कि उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री समय-समय पर वीडियो कॉन्फ्रेंसिंग के माध्यम से कानून व्यवस्था की समीक्षा करते हैं। इसके बावजूद, हाथरस प्रशासन और जिम्मेदार अधिकारी, जो कानून व्यवस्था बनाए रखने और जिले के निवासियों की सुरक्षा सुनिश्चित करने के लिए कर्तव्यबद्ध हैं, विफल रहे हैं।
याचिकाकर्ता ने अदालत से घटना का स्वत: संज्ञान लेने का आग्रह किया है और मामले की सीबीआई जांच, कुछ अधिकारियों के निलंबन और मामले की स्वतंत्र न्यायिक जांच की प्रार्थना की है।
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Hathras stampede: Plea in Allahabad High Court seeks CBI probe, independent judicial inquiry