केंद्रीय सूचना आयोग (सीआईसी) ने हाल ही में भारत के सर्वोच्च न्यायालय के लोक सूचना अधिकारी (पीआईओ) को मद्रास उच्च न्यायालय के पूर्व कार्यवाहक मुख्य न्यायाधीश न्यायमूर्ति टी राजा के खिलाफ शीर्ष अदालत के कॉलेजियम द्वारा प्राप्त भ्रष्टाचार की शिकायतों की संख्या का विवरण प्रस्तुत करने का निर्देश दिया।
यह आदेश सीआईसी के मुख्य सूचना आयुक्त हीरालाल समारिया ने 7 अक्टूबर को पारित किया था। हालांकि, सीआईसीआई ने ऐसी किसी भी शिकायत पर की गई कार्रवाई का खुलासा करने के अनुरोध को खारिज कर दिया।
यह आदेश स्वतंत्र पत्रकार सौरव दास की अपील पर पारित किया गया।
दास ने तीन पहलुओं पर जानकारी मांगी थी, यानी (i) क्या न्यायमूर्ति राजा के कार्यकाल के संबंध में भ्रष्टाचार या अनुचित आचरण की कोई शिकायत प्राप्त हुई थी (ii) यदि हां, तो ऐसी शिकायतों की कुल संख्या और (iii) ऐसी शिकायतों पर की गई कार्रवाई।
सीआईसी ने सुप्रीम कोर्ट के पीआईओ को निर्देश दिया है कि वे बिंदु (i) और (ii) की फिर से जांच करें और शिकायतों की संख्या बताएं, अगर ऐसी जानकारी उनके रिकॉर्ड में रखी गई है।
आदेश में कहा गया है, "आयोग मामले के रिकॉर्ड और सुनवाई के दौरान प्रस्तुत किए गए प्रस्तुतीकरण के अवलोकन के बाद संबंधित पीआईओ को निर्देश देता है कि वे इस आरटीआई आवेदन के बिंदु संख्या 1 और बिंदु संख्या 2 की पुनः जांच करें और यदि उनके रिकॉर्ड में शिकायत संख्या है तो उसे 30 दिनों के भीतर प्रस्तुत करें या अपीलकर्ता को तदनुसार सूचित करें।"
दास ने आज एक्स (पूर्व में ट्विटर) पर इस पहलू पर सीआईसी के फैसले पर अपनी निराशा व्यक्त की, उन्होंने तर्क दिया कि इस तरह की कॉलेजियम कार्यवाही में कोई गोपनीयता नहीं रखी जा सकती।
सीआईसी का यह फैसला दास द्वारा दायर दूसरी अपील पर आया है। उन्होंने जस्टिस राजा से जुड़ी जानकारी के लिए पिछले साल 25 अप्रैल को सूचना का अधिकार (आरटीआई) आवेदन दायर किया था।
सुप्रीम कोर्ट के लोक सूचना अधिकारी ने यह कहते हुए ब्यौरा देने से इनकार कर दिया था कि ऐसी कोई जानकारी नहीं रखी जाती। इस फैसले को दूसरे रजिस्ट्रार ने पहली अपील में बरकरार रखा, जिसके बाद सीआईसी के समक्ष दूसरी अपील की गई।
सीआईसी ने अब शीर्ष अदालत के पीआईओ से अपने जवाब की फिर से जांच करने और पूर्व हाईकोर्ट जज के खिलाफ प्राप्त शिकायतों की संख्या के बारे में ब्यौरा देने को कहा है। इस निर्देश के साथ ही दूसरी अपील का निपटारा कर दिया गया।
जस्टिस राजा पिछले साल मई में सेवानिवृत्त हो गए थे, जबकि सुप्रीम कोर्ट कॉलेजियम द्वारा उन्हें राजस्थान हाईकोर्ट में स्थानांतरित करने की बार-बार की गई सिफारिशें केंद्र सरकार द्वारा अनिर्धारित रहीं।
[सीआईसी का आदेश पढ़ें]
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How many corruption complaints against Justice T Raja? Supreme Court PIO ordered to reveal