हाल ही में, "इंडिया: द मोदी क्वेश्चन" नाम की बीबीसी डाक्यूमेंट्री ने दंगों और दंगों के समय गुजरात के मुख्यमंत्री रहे प्रधान मंत्री नरेंद्र मोदी की भूमिका की जांच करते हुए एक नए विवाद को जन्म दिया।
इस पूरे विवाद में कानून के दृष्टिकोण से कई सवाल उठे हैं जिनमें बोलने और अभिव्यक्ति की आज़ादी , सेंसरशिप और केंद्र सरकार द्वारा लगाए गए प्रतिबंधों की संवैधानिकता से संबंधित कानूनी सवाल भी शामिल हैं:
1)तो सबसे पहला सवाल उठता है प्रतिबंध की संवैधानिकता पर : मुख्य मुद्दा यह है कि क्या केंद्र सरकार द्वारा दोवुमेंटरी पर प्रतिबंध संवैधानिक है और भारतीय संविधान के अनुच्छेद 19(1)(ए) के तहत गारंटीकृत भाषण और अभिव्यक्ति की स्वतंत्रता के मौलिक अधिकार के अनुपालन में है।
२)दूसरा सवाल उठता है संविधान के अनुच्छेद 19(2) के तहत दिए गए प्रतिबंध के हवाले से : याचिकाकर्ताओं का तर्क है कि डाक्यूमेंट्री की में दर्शाई गई बातें संविधान के अनुच्छेद 19(2) में दिए गए प्रतिबंधों के तहत नहीं आती है, जो सार्वजनिक व्यवस्था, शालीनता, और नैतिकता के कारणों से अभिव्यक्ति की आज़ादी पर प्रतिबंध की अनुमति देता है ।
३ )तीसरा सवाल "सूचना प्रौद्योगिकी (आईटी) अधिनियम, 2000 के तहत दिए गए प्रतिबंध के हवाले से है : डॉक्यूमेंट्री पर प्रतिबंध आईटी अधिनियम की धारा 69ए के प्रावधानों के तहत लगाया गया है, जो केंद्र सरकार को सूचना को अवरुद्ध करने का अधिकार देता है, जिसे वह राज्य या सार्वजनिक व्यवस्था के हित का उल्लंघन मानती है। याचिकाकर्ताओं का तर्क है कि इस धारा के तहत सरकार द्वारा लगाए गए प्रतिबंध आईटी अधिनियम के प्रावधानों के अनुपालन में नहीं हैं।
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