बिफोर मेमोरी फेड्स: फली एस नरीमन | बुक रिव्यू [वीडियो देखें]

नरीमन भारत के प्रसिद्ध सांविधानिक वकीलो मे से एक है और वे इस किताब मे अपने जीवन और करियर पर विचार करते हुए कानूनी पेशे मे अपने की वर्षो के अनुभव से व्यक्तिगत कहानियो और अन्तर्दृष्टियों को साझा करते है
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"बिफोर मेमोरी फेड्स" भारत के सबसे प्रसिद्ध संवैधानिक वकीलों में से एक और देश की संसद के सदस्य, फली एस. नरीमन का एक संस्मरण है। यह पुस्तक नरीमन के जीवन और करियर को दर्शाती है, कानूनी पेशे में उनके कई वर्षों के अनुभव से व्यक्तिगत कहानियों और अंतर्दृष्टि को साझा करती है।

इस किताब की एक बात जो सबसे अलग है, वह है नरीमन की कहानी कहने की क्षमता। हालाँकि, "बिफोर मेमोरी फ़ेड्स" केवल एक संस्मरण नहीं बल्कि उससे बहुत अधिक है, यह एक मूल्यवान ऐतिहासिक और राजनीतिक दस्तावेज़ भी है।

नरीमन कई महत्वपूर्ण घटनाओं और मामलों पर चर्चा करते हैं, जिनमें वे वर्षों से शामिल रहे हैं, कानूनी पेशे और आधुनिक भारत के इतिहास पर एक अद्वितीय परिप्रेक्ष्य प्रदान करते हैं।

यह पुस्तक एडीएम जबलपुर (1976) के मामले में न्यायमूर्ति एच.आर. खन्ना द्वारा दिए गए एक महत्वपूर्ण असहमतिपूर्ण निर्णय पर भी प्रकाश डालती है और समाज में कानून की भूमिका और इसका अभ्यास करने वालों की जिम्मेदारियों के बारे में विचारोत्तेजक प्रश्न उठाती है। यदि आप कानून, राजनीति, या भारतीय इतिहास में रुचि रखते हैं, तो यह पुस्तक अवश्य पढ़ें।

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