दिल्ली हाईकोर्ट ने रजिस्ट्री से कहा: एमएस धोनी को फोन, ईमेल के जरिए सूचित करें कि उन पर मानहानि का मुकदमा किया गया है

न्यायमूर्ति प्रतिभा एम सिंह ने अदालत की रजिस्ट्री और वादी मिहिर दिवाकर को निर्देश दिया वे भारतीय क्रिकेट टीम पूर्व कप्तान को मामले के बारे मे सूचित करे और मामले की सुनवाई 29 जनवरी के लिए स्थगित कर दी
Mahendra Singh Dhoni and cricketer Mihir Diwakar
Mahendra Singh Dhoni and cricketer Mihir DiwakarMahendra Singh Dhoni and cricketer Mihir Diwakar
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दिल्ली उच्च न्यायालय ने गुरुवार को कहा कि यह उचित होगा कि क्रिकेटर महेंद्र सिंह धोनी को मामले की सुनवाई से पहले उनके खिलाफ दायर मानहानि के मुकदमे की जानकारी दी जाए। [मिहिर दिवाकर और अन्य बनाम महेंद्र सिंह धोनी और अन्य]।

न्यायमूर्ति प्रतिभा एम सिंह ने अदालत की रजिस्ट्री के साथ-साथ वादी मिहिर दिवाकर को निर्देश दिया कि वह भारतीय क्रिकेट टीम के पूर्व कप्तान को मामले के बारे में सूचित करें और मामले की सुनवाई 29 जनवरी को होगी।

दिवाकर और उनकी पत्नी सौम्या दास (वादी) ने उच्च न्यायालय का दरवाजा खटखटाकर धोनी और उनकी ओर से काम करने वाले लोगों को 2017 के अनुबंध के कथित उल्लंघन के संबंध में उनके खिलाफ मानहानिकारक आरोप लगाने से रोकने की मांग की है।

यह अनुबंध धोनी और वादी के स्वामित्व वाली कंपनी आरका स्पोर्ट्स मैनेजमेंट के बीच हुआ था। यह अनुबंध भारत और विश्व स्तर पर क्रिकेट अकादमियों की स्थापना के लिए था।

मंगलवार को जब मामला न्यायमूर्ति सिंह के समक्ष सुनवाई के लिए आया तो दिवाकर के वकील ने कहा कि धोनी के वकील ने रांची की अदालत के बाहर संवाददाता सम्मेलन किया और उनके तथा उनकी पत्नी के खिलाफ मानहानि के आरोप लगाए।

हालांकि, सुनवाई शुरू होते ही अदालत ने कहा कि आरोपों पर गौर करने से पहले और इस मुद्दे पर कि क्या ऐसा मुकदमा सुनवाई योग्य है, यह उचित है कि धोनी को यह सूचित किया जाए कि उनके खिलाफ मानहानि का मुकदमा दायर किया गया है।

न्यायमूर्ति सिंह ने आदेश दिया कि धोनी को रांची अदालत में उनका प्रतिनिधित्व करने वाली कानूनी फर्म के अलावा ईमेल और फोन के जरिए सूचित किया जाए।

इस बीच, वकील सिद्धांत कुमार मीडिया संगठन एएनआई (मामले में प्रतिवादी के रूप में कई समाचार प्लेटफार्मों में से एक) के लिए पेश हुए और कहा कि इसके खिलाफ मुकदमा सुनवाई योग्य नहीं है। वकील ने अदालत को बताया कि एएनआई ने दिवाकर के खिलाफ रांची की अदालत में लंबित आपराधिक कार्यवाही को केवल प्रकाशित किया है।

अदालत ने अंततः मामले को 29 जनवरी तक के लिए स्थगित कर दिया।

मुकदमे के अनुसार, धोनी और उनकी ओर से काम करने वाले लोगों ने दिवाकर और दास के खिलाफ अपमानजनक आरोप लगाए कि उन्होंने क्रिकेट अकादमियों के अनुबंध का सम्मान नहीं करके धोनी को लगभग 15 करोड़ रुपये का चूना लगाया था।

अंडर-19 विश्व कप 2000 में भारत का प्रतिनिधित्व करने वाले दिवाकर ने कहा कि अदालत के इस मुद्दे पर कोई ठोस निष्कर्ष देने से पहले ही धोनी के वकील दयानंद शर्मा ने छह जनवरी 2024 को प्रेस कांफ्रेंस करके दिवाकर और दास के खिलाफ आरोप लगाए।

याचिका में कहा गया है कि इन आरोपों को मीडिया में व्यापक रूप से रिपोर्ट किया गया था, जिससे वादी की छवि धूमिल हुई है।

इसलिए यह प्रार्थना की गई कि धोनी और उनकी ओर से काम करने वाले लोगों को वादी के खिलाफ कोई भी मानहानिकारक आरोप लगाने से रोकने के लिए निर्देश जारी किया जाए।

याचिकाकर्ताओं ने दिवाकर और दास के खिलाफ कथित रूप से अपमानजनक लेख/पोस्ट हटाने के लिए एक्स (पूर्व में ट्विटर), गूगल, यूट्यूब, मेटा (फेसबुक) और कई समाचार प्लेटफार्मों को निर्देश देने की भी मांग की है।

धोनी ने इससे पहले रांची में दिवाकर और दास के खिलाफ 'एमएस धोनी क्रिकेट अकादमी', 'एमएस धोनी स्पोर्ट्स अकादमी' और 'एमएस धोनी स्पोर्ट्स कॉम्प्लेक्स' के नाम से विश्व स्तर पर क्रिकेट अकादमियों और खेल परिसरों को चलाने के लिए हस्ताक्षरित अनुबंध के कथित उल्लंघन के लिए रांची में आपराधिक मामला दर्ज कराया था

रांची जिला अदालत में भारतीय दंड संहिता की धारा 406 (आपराधिक विश्वासघात), 420 (धोखाधड़ी), 467 (जालसाजी), 468 (धोखाधड़ी के उद्देश्य से जालसाजी), 471 (फर्जी दस्तावेज या इलेक्ट्रॉनिक रिकॉर्ड को वास्तविक के रूप में इस्तेमाल करना) और 120 बी (आपराधिक साजिश) के तहत आपराधिक शिकायत दर्ज की गई थी।

धोनी ने आरोप लगाया कि उनके द्वारा प्राधिकरण पत्र वापस लेने के बाद भी दिवाकर और दास ने अनुबंध में शामिल नामों से कई क्रिकेट अकादमियां खोलीं।

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Inform MS Dhoni via phone, email that he has been sued for defamation: Delhi High Court to registry

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