जम्मू एवं कश्मीर तथा लद्दाख उच्च न्यायालय ने हाल ही में नेपाल के एक व्यक्ति को बरी कर दिया, जिसे जम्मू एवं कश्मीर पुलिस ने 2014 में लद्दाख में मादक पदार्थ 'चरस' ले जाने के आरोप में गिरफ्तार किया था तथा जिसे वर्ष 2016 में ट्रायल कोर्ट ने दोषी ठहराया था (प्रेम कुमार बनाम लद्दाख केंद्र शासित प्रदेश)
न्यायमूर्ति अतुल श्रीधरन और न्यायमूर्ति संजय धर की पीठ ने माना कि अभियोजन पक्ष आरोपी के खिलाफ उचित संदेह से परे मामला साबित करने में विफल रहा।
इसलिए, इसने ट्रायल कोर्ट के फैसले को खारिज कर दिया और प्रेम कुमार को रिहा करने का निर्देश दिया, जिसने 2016 में ट्रायल कोर्ट द्वारा उसे दी गई कुल 11 साल की सजा में से नौ साल की सजा पूरी कर ली थी।
आदेश में कहा गया है, "हमारा मानना है कि अभियोजन पक्ष अपीलकर्ता के खिलाफ उचित संदेह से परे मामला साबित नहीं कर पाया है। अपील स्वीकार की जाती है। विवादित आदेश को रद्द किया जाता है। अपीलकर्ता को बरी किया जाता है और यदि किसी अन्य मामले में उसकी आवश्यकता नहीं है तो उसे तत्काल रिहा कर दिया जाएगा।"
नेपाल निवासी प्रेम कुमार मनाली के रास्ते भारत में दाखिल हुआ था और लेह पहुंचा था, जहां उसे वर्ष 2014 में नीले रंग के बैग में चरस ले जाने के आरोप में पुलिस ने गिरफ्तार किया था।
6 जून, 2016 को ट्रायल कोर्ट ने उसे दोषी करार दिया और 11 साल की सजा सुनाई।
इसके बाद उसने हाईकोर्ट का दरवाजा खटखटाया।
कुमार के वकील ने दलील दी कि उसके खिलाफ दर्ज की गई सजा गलत तरीके से पेश किए गए साक्ष्यों और मूल्यांकन पर आधारित थी।
मेरा तर्क था कि अभियोजन पक्ष के मामले में कई विरोधाभास थे, खासकर तलाशी और जब्ती के तरीके के बारे में अभियोजन पक्ष के गवाहों के बयानों के संबंध में विरोधाभास।
हाईकोर्ट ने माना कि अभियोजन पक्ष के गवाहों के बयानों और पुलिस द्वारा आरोपी से कथित तौर पर जब्त किए गए पदार्थ की सुरक्षित हिरासत में विरोधाभास थे।
हाईकोर्ट ने फैसला सुनाया, "अदालत में अभियोजन पक्ष के गवाहों के बयानों के बीच विरोधाभास को देखते हुए, इसका लाभ आरोपी को मिलना चाहिए।"
तदनुसार, अपील को स्वीकार कर लिया गया और ट्रायल कोर्ट द्वारा पारित फैसले को रद्द कर दिया गया। कोर्ट ने निर्देश दिया कि कुमार को तुरंत रिहा किया जाए।
कुमार की ओर से अधिवक्ता मेहरबान सिंह उपस्थित हुए।
प्रतिवादियों की ओर से केंद्र सरकार के स्थायी वकील रोहन नंदा उपस्थित हुए।
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Jammu & Kashmir High Court acquits drug convict from Nepal after 9 years in jail