जम्मू-कश्मीर उच्च न्यायालय ने इस्लाम के खिलाफ टिप्पणी को लेकर जितेंद्र नारायण त्यागी के खिलाफ मामले पर रोक लगाई

उच्च न्यायालय ने कहा कि प्रथम दृष्टया, ट्रायल कोर्ट ने त्यागी के खिलाफ आरोपों का संज्ञान लेने से पहले प्रक्रियागत आवश्यकता का पालन नहीं किया।
Jitendra Narayan Tyagi and J&K High Court, Srinagar Wing
Jitendra Narayan Tyagi and J&K High Court, Srinagar Wing
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जम्मू-कश्मीर और लद्दाख उच्च न्यायालय ने इस्लाम और पैगंबर मोहम्मद के खिलाफ अपमानजनक टिप्पणी करने के आरोपों के संबंध में जितेंद्र नारायण त्यागी (पूर्व में सैयद वसीम रिजवी) के खिलाफ लंबित आपराधिक मुकदमे पर रोक लगा दी [जितेंद्र नारायण त्यागी @ सैयद वसीम रिजवी बनाम जम्मू-कश्मीर केंद्र शासित प्रदेश और अन्य]।

न्यायमूर्ति राहुल भारती ने उत्तर प्रदेश के शिया सेंट्रल वक्फ बोर्ड के पूर्व अध्यक्ष त्यागी की याचिका पर सुनवाई करते हुए अंतरिम आदेश पारित किया, जिसमें उन्होंने अपने खिलाफ मामला रद्द करने की मांग की थी।

न्यायमूर्ति भारती ने कहा कि त्यागी के खिलाफ मामले में ट्रायल कोर्ट द्वारा संज्ञान लेने से पहले पूर्व अनुमति नहीं ली गई थी, जिसमें भारतीय दंड संहिता की धारा 153 ए (धार्मिक समूहों के बीच दुश्मनी को बढ़ावा देना), 295 ए (धार्मिक भावनाओं को ठेस पहुंचाना) और 505 (सार्वजनिक शरारत के लिए बयानबाजी) के तहत आरोप शामिल थे।

हाईकोर्ट ने त्यागी के तर्क में प्रथम दृष्टया योग्यता पाई कि जम्मू और कश्मीर में इस तरह की पूर्व सरकारी मंजूरी प्राप्त करना अनिवार्य था, जैसा कि दंड प्रक्रिया संहिता की धारा 196 (जिसे अब भारतीय नागरिक सुरक्षा संहिता द्वारा प्रतिस्थापित किया गया है) के तहत आवश्यक है।

उच्च न्यायालय ने 11 अप्रैल के अपने फैसले में कहा, "प्रथम दृष्टया मामला बनता है। न्यायिक मजिस्ट्रेट प्रथम श्रेणी (द्वितीय अतिरिक्त मुंसिफ), श्रीनगर ने दिनांक 09.02.2022 के संज्ञान लेने के आदेश में दंड प्रक्रिया संहिता, 1973 से परामर्श करने का परिश्रम नहीं किया है, जैसा कि उस समय प्राप्त था और इस प्रकार, केंद्र शासित प्रदेश जम्मू और कश्मीर के संदर्भ में केंद्र सरकार की सहमति को दरकिनार करके संज्ञान लेने में गलती की।"

Justice Rahul Bharti
Justice Rahul Bharti

त्यागी के खिलाफ मुकदमे पर रोक लगा दी गई। मामले को खारिज करने की उनकी याचिका पर अगली सुनवाई 7 जुलाई को होगी।

उच्च न्यायालय ने आदेश दिया, "इस बीच, न्यायिक मजिस्ट्रेट प्रथम श्रेणी (द्वितीय अतिरिक्त मुंसिफ), श्रीनगर की अदालत में फाइल संख्या 131/2nd एडिशनल पर दानिश हसर डार बनाम जितेन्द्र नारायण सिंह त्यागी नामक मामले की कार्यवाही स्थगित रहेगी।"

न्यायालय ने इस मामले में दानिश हसन डार से भी जवाब मांगा, जिन्होंने निचली अदालत में त्यागी के खिलाफ आपराधिक शिकायत दर्ज कराई थी।

डार ने आरोप लगाया था कि त्यागी ने इस्लाम से हिंदू धर्म अपनाने के बाद कई ऐसे बयान दिए, जिनसे इस्लाम और पैगम्बर मोहम्मद का अपमान हुआ।

इन टिप्पणियों को मीडिया में व्यापक रूप से प्रसारित किया गया और देश भर के मुस्लिम धार्मिक विद्वानों और संगठनों में आक्रोश फैल गया। डार ने त्यागी पर ऐसी सार्वजनिक टिप्पणियों के माध्यम से मुसलमानों की धार्मिक भावनाओं को ठेस पहुंचाने का आरोप लगाया।

डार ने पहले त्यागी के खिलाफ शिकायत लेकर पुलिस से संपर्क किया। हालांकि, बाद में जब पुलिस ने शिकायत दर्ज नहीं की, तो उन्होंने मुख्य न्यायिक मजिस्ट्रेट की अदालत में निजी शिकायत दर्ज कराई।

9 फरवरी, 2022 को मामले से निपटने के लिए नियुक्त मजिस्ट्रेट ने त्यागी के खिलाफ कथित अपराधों का संज्ञान लिया। इस साल फरवरी में, ट्रायल कोर्ट ने इस मामले में त्यागी की गिरफ्तारी की भी मांग की थी, क्योंकि वह अदालत की सुनवाई में शामिल नहीं हुए थे।

अब हाईकोर्ट ने ट्रायल कोर्ट की इन कार्यवाही पर रोक लगा दी है।

हाईकोर्ट के समक्ष अपनी याचिका में त्यागी के वकील ने तर्क दिया था कि डार की निजी शिकायत का उद्देश्य पुलिस जांच को बढ़ावा देना था, और ट्रायल कोर्ट को सीधे संज्ञान (न्यायिक नोटिस) नहीं लेना चाहिए था।

कोर्ट ने इस दलील को प्रथम दृष्टया उचित पाया और ट्रायल कोर्ट की कार्यवाही पर रोक लगा दी।

त्यागी की ओर से अधिवक्ता अंकुर शर्मा पेश हुए।

[आदेश पढ़ें]

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Jammu & Kashmir High Court stays case against Jitendra Narayan Tyagi over remarks against Islam

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