इलाहाबाद उच्च न्यायालय ने हाल ही में 70 वर्ष की आयु के एक बुजुर्ग दम्पति के बीच भरण-पोषण संबंधी मामले की सुनवाई करते हुए टिप्पणी की कि "कलयुग आ गया है।"
न्यायालय 80 वर्षीय मुनेश कुमार गुप्ता द्वारा दायर एक आवेदन पर सुनवाई कर रहा था, जिसमें पारिवारिक न्यायालय के उस आदेश को चुनौती दी गई थी, जिसमें उन्हें अपनी पत्नी को 5,000 रुपये भरण-पोषण देने का निर्देश दिया गया था।
न्यायमूर्ति सौरभ श्याम शमशेरी की पीठ ने कहा,
"ऐसा प्रतीत होता है कि कलयुग आ गया है, क्योंकि लगभग 75-80 वर्ष की आयु के एक दम्पति भरण-पोषण के लिए एक-दूसरे के विरुद्ध कानूनी लड़ाई लड़ रहे हैं।"
गुप्ता और उनकी 76 वर्षीय पत्नी के बीच कथित तौर पर 2018 से संपत्ति विवाद चल रहा है। मामला पुलिस तक पहुंचा, जिसके बाद दंपति को परिवार परामर्श केंद्र भेजा गया।
विवाद का समाधान न होने पर गुप्ता और उनकी पत्नी अलग-अलग रहने लगे। इसके बाद पत्नी ने पारिवारिक न्यायालय में याचिका दायर कर अपने पति से ₹15,000 गुजारा भत्ता मांगा, जिनकी मासिक पेंशन करीब ₹35,000 थी।
अपने 16 फरवरी के आदेश में पारिवारिक न्यायालय ने गुप्ता को गुजारा भत्ता के तौर पर ₹5,000 देने का निर्देश दिया। हालांकि, उन्होंने इस फैसले को उच्च न्यायालय में चुनौती दी।
उच्च न्यायालय ने मामले में पत्नी को नोटिस जारी करने के बाद मामले की अंतिम सुनवाई तय की और उम्मीद जताई कि तब तक दोनों पक्षों के बीच समझौता हो सकता है।
आवेदक की ओर से अधिवक्ता घनश्याम दास मिश्रा और सुनील कुमार शुक्ला पेश हुए।
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Kalyug has arrived: Allahabad High Court on maintenance dispute between elderly husband and wife