कर्नाटक उच्च न्यायालय ने शुक्रवार को भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) नेता और पूर्व मुख्यमंत्री बीएस येदियुरप्पा की गिरफ्तारी पर रोक लगा दी। यह रोक यौन अपराधों से बच्चों के संरक्षण अधिनियम, 2012 (पोक्सो अधिनियम) के तहत उनके खिलाफ दर्ज एक मामले के संबंध में लगाई गई थी।
न्यायमूर्ति एस कृष्ण दीक्षित ने आज येदियुरप्पा को गिरफ्तार करने की आवश्यकता पर सवाल उठाया।
न्यायालय राज्य के इस आरोप से भी सहमत नहीं था कि पूर्व मुख्यमंत्री ने 11 जून को जारी नोटिस को टालते हुए, नोटिस जारी होने के कुछ घंटों बाद ही पूर्व पार्टी प्रतिबद्धताओं का हवाला देते हुए दिल्ली के लिए उड़ान भरी थी।
महाधिवक्ता (एजी) शशि किरण शेट्टी ने आज तर्क दिया कि "(विमान) टिकट उन्हें नोटिस जारी होने के बाद ही बुक किया गया था।"
हालांकि, न्यायालय ने पाया कि येदियुरप्पा पूर्व मुख्यमंत्री हैं और उनके भागने की संभावना नहीं है। न्यायालय ने यह भी पाया कि येदियुरप्पा ने 11 जून के नोटिस का जवाब देते हुए कहा था कि वह 17 जून को जांच अधिकारी के समक्ष उपस्थित होंगे।
अदालत ने कहा, "वह कोई टॉम, डिक या हैरी नहीं हैं। वह राज्य के पूर्व मुख्यमंत्री हैं। क्या आपका कहना है कि वह देश छोड़कर भाग जाएंगे? वह बेंगलुरू से दिल्ली आकर क्या कर सकते हैं।"
एकल न्यायाधीश ने अंततः आदेश दिया कि पूर्व मुख्यमंत्री के खिलाफ कोई बलपूर्वक कार्रवाई नहीं की जाएगी, खासकर तब जब येदियुरप्पा ने 17 जून को जांच अधिकारी के समक्ष उपस्थित होने के लिए लिखित रूप से स्वेच्छा से सहमति व्यक्त की थी।
अदालत ने अपने आदेश में कहा, "हम तुरंत इस निष्कर्ष पर नहीं पहुंच सकते कि याचिकाकर्ता की हिरासत में पूछताछ के लिए गिरफ्तारी और हिरासत का मामला बनता है, जो राज्य के पूर्व मुख्यमंत्री रहे हैं और (उनकी उम्र अधिक है) और उन्हें उस उम्र के अनुसार प्राकृतिक बीमारियाँ हैं... याचिकाकर्ता की गिरफ्तारी और हिरासत की कार्यवाही सुनवाई की अगली तारीख तक रोक दी जाती है।"
हालांकि, अदालत ने कहा कि येदियुरप्पा को 17 जून को जांच के लिए क्षेत्राधिकार वाली पुलिस के समक्ष उपस्थित होना होगा।
इस मामले में आरोप है कि येदियुरप्पा ने 17 वर्षीय लड़की से छेड़छाड़ की, जब वह अपनी मां के साथ वरिष्ठ भाजपा नेता के आवास पर मदद मांगने गई थी।
लड़की की मां (शिकायतकर्ता) ने 14 मार्च को सदाशिवनगर पुलिस थाने के निरीक्षक के समक्ष घटना के संबंध में शिकायत दर्ज कराई, जिसमें येदियुरप्पा पर आरोप लगाया गया कि उन्होंने 17 वर्षीय लड़की को हाथ पकड़कर एक कमरे में ले जाकर बंद दरवाजों के पीछे उसका यौन उत्पीड़न किया।
शिकायतकर्ता ने कहा कि जब इस आचरण के बारे में पूछा गया, तो येदियुरप्पा ने कथित तौर पर पैसे की पेशकश करके मामले को दबाने की कोशिश की।
पुलिस ने नाबालिग के यौन उत्पीड़न के आरोप में पोक्सो अधिनियम की धारा 8 और आईपीसी की धारा 354 (ए) के तहत प्राथमिकी दर्ज की।
आज सुनवाई के दौरान, अदालत ने मामले की सत्यता पर सवाल उठाया।
येदियुरप्पा की ओर से पेश हुए अधिवक्ता सी.वी. नागेश ने तर्क दिया कि जिस व्यक्ति ने शिकायतकर्ता (17 वर्षीय लड़की की मां) को शिकायत दर्ज कराई है, वह तुच्छ मामले दर्ज कराने की आदत में है।
इसके जवाब में न्यायालय ने कहा कि शिकायतकर्ता की विश्वसनीयता की जांच करने की आवश्यकता हो सकती है। न्यायालय को यह भी बताया गया कि शिकायतकर्ता की मृत्यु 26 मई को बीमारी के कारण हो गई थी।
न्यायालय ने येदियुरप्पा के खिलाफ गिरफ्तारी वारंट जारी करने के तरीके पर भी चिंता व्यक्त की।
न्यायालय ने कहा, "जिस तरह से चीजें हुई हैं, उससे संदेह है कि इस मामले में कुछ छिपा हुआ है।"
एजी ने जवाब दिया, "कुछ भी छिपा नहीं है, महामहिम।"
कोर्ट ने पूछा "यहाँ एक पूर्व मुख्यमंत्री हैं। उन्होंने पहले नोटिस का ईमानदारी से पालन किया। फिर, आप एक और नोटिस जारी करते हैं, यह आपकी शक्ति, विशेषाधिकार और अधिकार है। और उन्होंने कहा, मैं 17 तारीख को आऊंगा। यह उनका मामला नहीं है कि वे (येदियुरप्पा) कभी कर्नाटक वापस नहीं आएंगे! उन्होंने कहा कि वे लिखित में वापस आ रहे हैं - फिर भी आप उन्हें गिरफ्तार करना चाहते हैं? अगर एक पूर्व मुख्यमंत्री के साथ ऐसा व्यवहार किया जाता है, तो मैं बस सोच रहा हूँ, आम आदमी का क्या होगा?"
न्यायालय ने मामले में नोटिस जारी किया तथा राज्य से आपत्तियों का विवरण प्रस्तुत करने को कहा।
न्यायालय दो संबंधित मामलों की सुनवाई कर रहा था, जिनमें से एक येदियुरप्पा द्वारा दायर अग्रिम जमानत याचिका थी। दूसरी याचिका, जो येदियुरप्पा द्वारा ही दायर की गई है, में उनके खिलाफ POCSO मामले को रद्द करने की मांग की गई है।
गौरतलब है कि कल अतिरिक्त सिटी सिविल एवं सत्र न्यायाधीश (फास्ट ट्रैक स्पेशल कोर्ट-I) एनएम रमेश ने पूर्व सीएम के खिलाफ गिरफ्तारी वारंट जारी किया था।
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