कर्नाटक उच्च न्यायालय ने जातिगत भेदभाव मामले में आईआईएम-बी के निदेशक और संकाय के खिलाफ एफआईआर पर रोक लगाई

न्यायमूर्ति हेमंत चंदनगौदार की अवकाश पीठ ने 31 दिसंबर, 2024 को अंतरिम आदेश पारित करते हुए अगले आदेश तक आरोपी व्यक्तियों के खिलाफ प्राथमिकी और आगे की सभी जांच पर रोक लगा दी।
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कर्नाटक उच्च न्यायालय ने हाल ही में भारतीय प्रबंधन संस्थान, बेंगलुरू (आईआईएम-बी) के निदेशक और सात संकाय सदस्यों के खिलाफ प्रथम सूचना रिपोर्ट (एफआईआर) और आगे की सभी जांच पर रोक लगा दी है। यह मामला संस्थान के एक एसोसिएट प्रोफेसर के खिलाफ कथित जातिगत भेदभाव और अत्याचार के लिए पिछले महीने उनके खिलाफ दर्ज किया गया था।

31 दिसंबर, 2024 को पारित अंतरिम आदेश में न्यायमूर्ति हेमंत चंदनगौदर ने आईआईएम बी के निदेशक ऋषिकेश टी कृष्णन और संकाय सदस्यों दिनेश कुमार, जी शैनेश, श्रीनिवास प्रख्या, श्रीलता जोनालागेडा, राहुल डे, आशीष मिश्रा और चेतन सुब्रमण्यम के खिलाफ आगे की जांच पर रोक लगा दी।

न्यायालय ने राज्य और शिकायतकर्ता को नोटिस जारी कर दो सप्ताह के भीतर जवाब देने को कहा।

न्यायालय के विस्तृत आदेश की प्रतीक्षा है।

एसोसिएट प्रोफेसर द्वारा की गई शिकायत के बाद बेंगलुरु पुलिस ने 20 दिसंबर, 2024 को उनके खिलाफ एफआईआर दर्ज की थी।

शिकायतकर्ता ने आरोप लगाया कि निदेशक और अन्य संकाय सदस्यों ने जानबूझकर उनकी जाति की पहचान सार्वजनिक डोमेन में उजागर की, उन्हें अपमानित किया और उनके खिलाफ जाति-आधारित भेदभाव किया।

हालांकि, याचिकाकर्ताओं की ओर से पेश हुए वरिष्ठ अधिवक्ता उदय होला और के दिवाकर ने न्यायालय को बताया कि शिकायतकर्ता ने संस्थान द्वारा उन्हें पदोन्नत नहीं किए जाने के बाद ही इस तरह के आरोप लगाने शुरू किए हैं।

वरिष्ठ अधिवक्ता ने आगे कहा कि शिकायतकर्ता स्वयं संस्थान में कुछ छात्रों द्वारा उत्पीड़न के आरोपों का सामना कर रहा है और एक समिति ने छात्रों द्वारा लगाए गए आरोपों में तथ्य पाया है।

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Karnataka High Court stays FIR against IIM-B director, faculty in caste discrimination case

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