

केरल हाईकोर्ट ने हाल ही में राज्य भर में अलग-अलग मीडिएशन और अल्टरनेटिव डिस्प्यूट रेजोल्यूशन सेंटर्स में इंफ्रास्ट्रक्चरल सुविधाओं की कमी से जुड़े मामलों को सुलझाने के लिए खुद से एक केस शुरू किया है।
चीफ जस्टिस नितिन जामदार और जस्टिस श्याम कुमार VM की डिवीजन बेंच ने कहा कि सही सुविधाओं की कमी से ऐसी कार्रवाई के दौरान कॉन्फिडेंशियलिटी पक्का करना मुश्किल हो जाता है, जिससे पूरे विवाद सुलझाने के प्रोसेस में रुकावट आती है।
कोर्ट ने कहा, "मीडिएशन सेंटर्स के सामने आने वाली मुख्य इंफ्रास्ट्रक्चरल दिक्कतें हैं - मीडिएशन करने के लिए सही जगह/जगह की कमी, प्राइवेसी पक्का न कर पाना, फिजिकल और डिजिटल इंफ्रास्ट्रक्चर काफ़ी नहीं होना, स्टाफ की कमी और यहां तक कि बेसिक सुविधाओं की भी कमी वगैरह। सही कॉन्फिडेंशियलिटी पक्का न कर पाने से मीडिएशन प्रोसेस में रुकावट आती है।"
कोर्ट ने इस केस में मदद के लिए वकील आदर्श कुमार को एमिकस क्यूरी नियुक्त किया।
इसने स्टेट अटॉर्नी एन मनोज कुमार को निर्देश लेने के लिए समय दिया और हाई कोर्ट एडमिनिस्ट्रेशन और केरल स्टेट लीगल सर्विसेज अथॉरिटी को केस में पार्टी बनाया।
इस सुओ मोटो केस की अगली सुनवाई 1 दिसंबर को होगी।
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Kerala High Court initiates suo motu case to address infrastructure issues at mediation centres